Dev Deepawali 2020 : सर्वार्थ सिद्धि योग में कार्तिक पूर्णिमा फलदायी, भगवान विष्णु मत्स्य रूप में हुए थे अवतरित
ज्योतिष एवं तंत्र आचार्य डा. शैलेश मोदनवाल के अनुसार इस पर्व का सुखद संयोग 30 नवंबर सोमवार को रोहिणी नक्षत्र एवं सर्वार्थ सिद्धि योग में प्राप्त हो रहा है। दिन में 2.26 बजे तक पूर्णिमा तिथि का संयोग प्राप्त होगा।
जौनपुर, जेएएनएन। कार्तिक मास के देवता भगवान विष्णु हैं। इस मास भर श्रद्धावान लोग सुबह गंगा स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। धर्मशास्त्रों में इस संपूर्ण मास में स्नान, तुलसी और विष्णु की पूजा व दीपदान को महत्वपूर्ण बताया गया है। ज्योतिष एवं तंत्र आचार्य डा. शैलेश मोदनवाल के अनुसार इस पर्व का सुखद संयोग 30 नवंबर सोमवार को रोहिणी नक्षत्र एवं सर्वार्थ सिद्धि योग में प्राप्त हो रहा है। दिन में 2.26 बजे तक पूर्णिमा तिथि का संयोग प्राप्त होगा।
शास्त्रों के अंतर्गत भरणी अथवा रोहिणी नक्षत्र का संयोग यदि कार्तिक पूर्णिमा के दिन प्राप्त हो जाए तो वह विशेष फलदायी कहा गया है। इसलिए यह पूर्णिमा विशेष फलदायी होगी। इस दिन किए जाने वाले स्नान, ध्यान, पूजा तथा यज्ञ अनुष्ठान के अनंत गुना फल प्राप्त होंगे। इसी दिन शाम को भगवान श्री हरि विष्णु मत्स्य रूप में अवतरित होकर सृष्टि की रचना किए थे। इसदिन किए गए समस्त धार्मिक कार्य के अच्छे फल प्राप्त होते हैं। कलयुग में भगवान सत्य नारायण प्रत्यक्ष फल देते हैं, क्योंकि सत्य में ही ब्रह्म प्रतिष्ठित हैं।
इसी तरह वास्तु एवं ज्योतिष विशेषज्ञ पंडित टीपी त्रिपाठी के अनुसार इस दिन भगवान सत्य नारायण व्रत एवं कथा श्रवण का बहुत बड़ा महत्व भविष्य पुराण में वर्णित है। यदि यह पावन कार्य इस पावन दिन श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाए तो निश्चय उपासक के अपने अभीष्ट की पूर्ति होती है। बताया कि भगवान विष्णु और भगवान शिव के भक्त कार्तिक पूर्णिमा के दिन उपवास करते हैं और सुबह जल्द स्नान करके कार्तिक पूर्णिमा व्रत कथा पढ़कर अपने दिन को प्रारंभ करते हैं।
यह कथा राक्षस त्रिपुरासुर के अंत की कहानी बताती है। प्राचीन हिंदू धर्म ग्रंथों में वर्णित है कि एक बार त्रिपुरासुर नामक एक दानव देवताओं को परास्त करने में सफल रहा और अंतत: उसने पूरे विश्व पर विजय प्राप्त कर ली। ऐसा माना जाता है कि उसने अंतरिक्ष में तीन शहर बनाए और उनका नाम त्रिपुरा रखा। उस समय भगवान शिव देवताओं को बचाने के लिए आए और राक्षस का अपने धनुष बाण से वध कर दिया। घोषणा की कि इस दिन को रोशनी एवं प्रकाश के त्योहार के रूप में मनाया जाएगा। कार्तिक पूर्णिमा को वृंदा की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इसे तुलसी के पौधे का मानवीय रूप माना जाता है।