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आज युवाओं के एक हाथ में वेद की ऋचाएं तो दूसरे में कंप्यूटर : डा. दिनेश शर्मा Varanasi news

भारतीय परंपरा का आधुनिक भारत स्‍वरुप एवं दिशा विषयक संगोष्‍ठी का आयोजन शनिवार को महात्‍मा गांधी काशी विद्यापीठ में आयोजित किया गया।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 27 Jul 2019 11:08 AM (IST)Updated: Sat, 27 Jul 2019 07:05 PM (IST)
आज युवाओं के एक हाथ में वेद की ऋचाएं तो दूसरे में कंप्यूटर : डा. दिनेश शर्मा  Varanasi news
आज युवाओं के एक हाथ में वेद की ऋचाएं तो दूसरे में कंप्यूटर : डा. दिनेश शर्मा Varanasi news

वाराणसी, जेएनएन। डिप्टी सीएम डा. दिनेश शर्मा ने कहा कि आधुनिकता के इस युग में भी हम अपनी संस्कृति व संस्कार को नहीं छोड़े हैं। आज युवाओं के एक हाथ में वेद की ऋचााएं है तो दूसरे में कंप्यूटर है। नैतिकता का भाव लेकर हम नए शिखर पर पहुंचने का सपना साकार कर रहे हैं, जितने में आज फिल्म बन रहीं हैं। उसने ही पैसे में हम आंतरिक्ष में चंद्रयान पहुंचाने में सफल हुए हैं। पूरी दुनिया के लिए भारत मार्गदर्शक बना हुआ है। 

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वह शनिवार को महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के गांधी अध्ययनपीठ के सभागार में 'भारतीय परंपरा का आधुनिक भारत : स्वरूप व दिशा' विषयक दो दिवसीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए बोल रहे थे। विद्यापीठ व अखिल भारतीय शैक्षिक महासंघ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी में उन्होंने कहा कि पहले इंग्लैंड व अमेरिका भारत में भूख, कंगाली दिखाते थे। कहते थे कि भूखे-नंगे हिंदुस्‍तानियों से बच कर रहना कहीं हमारी रोटी न खा जाएं। अब धारणा बदली है। अमेरिका कहता है कि हिंदुस्तानियों से बच कर रहना कहीं वह हमारा रोजगार न छीन लें। पूरी दुनिया हिंदुस्‍तान की मेधा मान रही है। इसके पीछे हमने अपनी संस्कृति व सभ्यता नहीं छोड़ी है।

भारत एक ऐसा देश था जिसे लोग सोने की चिडिय़ा कहते थे। अंग्रेजों ने हिंदुस्तान को खूब लूटा लेकिन वह हमारी संस्कृति नहीं लूट सके। हमारी संस्कृति आज भी जिंदा है और आगे भी जीवित रहेगी। हम पाश्चात्‍य संस्कृति को अपना रहे हैं लेकिन अपनी संस्कृति बचाए हुए हैं। आधुनिकता को अपनाने के बावजूद हम अध्यात्म को नहीं छोड़े हैं। आधुनिक युग में भी भारतीय संस्कृति मजबूती से परिलक्षित होती है। 

सूबे का बदला माहौल 

कहा कि पहले उत्तर प्रदेश को उल्टा प्रदेश कहा जाता था। वर्तमान में उत्तर प्रदेश का स्वरूप बदल रहा है। आज सूबे में औद्यौगिकीकरण का माहौल बना है। उद्योगपतियों में करीब 60 करोड़ रुपये सूबे में निवेश कर चुके हैं। भविष्य में इसका दायरा बढ़ता जा रहा है।

अधिवर्षिता आयु पर अंतिम निर्णय नहीं 

इस दौरान उन्होंने कहा कि अध्यापकों की अधिवर्षिता आयु पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। एक प्रश्न के जवाब में उत्तर दिया गया है। ऐसे में अध्यापकों की सेवानिवृत्ति की आयु 62 वर्ष से 65 वर्ष होने की अब भी उम्मीद है।

भारत अद्भूत देश 

मुख्य वक्ता संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. राजेंद्र मिश्र ने कहा कि भारत अद्भुत देश है जिसके हाथों में पूरे विश्व की कुंडली है। हम संपूर्ण राष्ट्र की रक्षा करने में समक्ष हैं। भारत ने पूरी दुनिया का संभाला। हमारे ऋषि-मुनियों ने पूरे विश्व को संभालने का सपना देखा था। हम अपना निर्माण अपनी मिट्टी से कर सकते हैं। अफसोस यह है कि हमें हिंदु कह कर छोटा बनाने का प्रयास किया जा रहा है। हमारी आर्य संस्कृति रही है। आर्य संस्कृति का अर्थ सिर्फ हिंदू नहीं संपूर्ण विश्व है।

शिक्षा पर बजट बढ़ाने की जरूरत 

अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो. टीएन सिंह ने कहा कि जो मूल को नहीं छोड़ता है। वह हमेशा जीवित रहता है। कोठारी आयोग का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा का बजट बढ़ाने की जरूरत है। कोठारी समिति ने जीडीपी का छह फीसद शिक्षा पर खर्च करने की संस्तुति की थी। जबकि वर्तमान में जीडीपी का महज तीन फीसद शिक्षा पर खर्च किया जा रहा है। महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. जेपी सिंघल, संगठन मंत्री डा. महेंद्र कपूर सहित अन्य लोगों ने भी विचार व्यक्त किया। स्वागत प्रो. शैलेश कुमार मिश्र, संचालन उदय प्रकाश व धन्यवाद ज्ञापन प्रो. आरपी सिंह ने किया। 

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