उत्तर प्रदेश 'गधों' के मामले में तीसरे स्थान पर, ओवरआल पशुओं के मामले में प्रदेश गिरावट के साथ चैंपियन
वर्ष 2012 के बाद 2019 में पशुओं का कुल आंकड़ा गुरुवार को सरकार ने जारी कर दिया। इस बार पशुगणना के मुताबिक दोबारा उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर रहा है।
वाराणसी। वर्ष 2012 के बाद 2019 में पशुओं का कुल आंकड़ा गुरुवार को सरकार ने जारी कर दिया। इस बार पशुगणना के मुताबिक दोबारा उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर रहा है। हालांकि बीती पशुगणना के मुकाबले पशुओं की संख्या 68.7 के अपेक्षा 67.8 मिलियन दर्ज की गई। इस लिहाज से पशुओं की उत्तर प्रदेश में संखया में 1.35 फीसद तक कमी आई है। हालांकि इसके बाद भी पशुओं की यह संख्या किसी राज्य में देश में सर्वाधिक है। वहीं दूसरे स्थान पर राजस्थान और तीसरे स्थान पर पडा़ेसी राज्य मध्य प्रदेश है। जबकि दुधारू पशुओं की संख्या के लिहाज से उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है जबकि पहले स्थान पर पश्चिम बंगाल है।
पशुपालन से जुड़े यूपी के अन्य आंकड़े
वहीं पोल्ट्री उद्योग में तमिलनाडु सबसे आगे है जबकि उत्तर प्रदेश राज्य शीर्ष दस से भी बाहर है। सर्वाधिक 33 मिलियन भैंसों की संख्या उत्तर प्रदेश में है जबकि दूसरे स्थान पर राजस्थान है। इसी तरह भेंड पालन में उत्तर प्रदेश एक मिलियन की संख्या के साथ दसवें स्थान पर है। बकरी पालन में 14.48 मिलियन की संख्या के साथ उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर है जबकि राजस्थान पहले और पश्चिम बंगाल दूसरे स्थान पर हैं। शूकर पालन में उत्तर प्रदेश छठवें स्थान पर .41 मिलियन की संख्या के साथ है। जबकि आसाम इस मामले में पहले स्थान पर है। ऊंटों के मामले में उत्तर प्रदेश .02 लाख की संख्या के साथ चौथे स्थान पर है जबकि इसमें राजस्थान पहले, गुजरात दूसरे और हरियाणा तीसरे स्थान पर है।
गधों के मामले में यूपी तीसरे स्थान पर
इसी क्रम में घोड़े और खच्चर आदि पशुओं के मामले में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर है हालांकि सात वर्षों में इनकी संख्या में पचास फीसद तक गिर गई है। प्रदेश में इनकी कुल संख्या .76 लाख है। वहीं गधों के मामले में उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर है यहां कुल .16 लाख है। जबकि राजस्थान पहले और महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर है। जबकि देश का सबसे बड़ा गर्दभ मेला उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में तीन दिनों तक मनाया जाता है। वहीं बलिया जिले में प्रतिवर्ष बिहार के सोनपुर के बाद दूसरा सबसे बड़ा पशु मेला मनाया जाता है।
पूर्वांचल के लिए आंकड़े महत्वपूर्ण
पशुआें के इस आंकड़े के सामने आने के बाद अब प्रदेश में इसके आंकड़ों के अनुसार दुग्ध उत्पादन व श्वेत क्रांति के संदर्भ में नई नीतियां बनाने में सहूलियत होगी। यह आंकड़ा पूर्वांचल के लिहाज से इसलिए भी जरूरी है क्याेंकि उत्तर प्रदेश के हिस्से में आने वाले पशुओं में संख्या पूर्वांचल में सर्वाधिक है। कृषि प्रधान क्षेत्र होने की वजह से खेती किसानी और दुग्ध उत्पादों की पूर्वांचल में कहीं कोई कमी नहीं है।