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Immune System बढ़ाने वाले पौधों की मांग, वैश्विक महामारी कोरोना के कारण मौसमी पौधे कम बिक रहे

मंडुआडीह क्षेत्र में कई पौधों की नर्सरियां हैं लेकिन कोरोना के कारण यहां मौसमी पौधे कम बिक रहे हैं। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले पौधे जैसे गिलोय अश्वगंधा कालमेघ की मांग बढ़ गई है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 18 Jun 2020 09:42 AM (IST)Updated: Thu, 18 Jun 2020 01:20 PM (IST)
Immune System बढ़ाने वाले पौधों की मांग, वैश्विक महामारी कोरोना के कारण मौसमी पौधे कम बिक रहे
Immune System बढ़ाने वाले पौधों की मांग, वैश्विक महामारी कोरोना के कारण मौसमी पौधे कम बिक रहे

वाराणसी, [श्रवण भारद्वाज]। मंडुआडीह क्षेत्र में कई पौधों की नर्सरियां हैं लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना के कारण यहां मौसमी पौधे कम बिक रहे हैं। इस महामारी से बचने के लिए लोग प्रकृति का सहारा ले रहे हैं तथा शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले पौधे जैसे गिलोय, अश्वगंधा, कालमेघ, तुलसी, पीपली, लेमन ग्रास की मांग सौ फीसद तक बढ़ गई है। मंडुआडीह के नर्सरी संचालक दशरथ पटेल का कहना है की इन पौधों की मांग इस समय इतनी बढ़ गयी है की प्रतिदिन दो हजार से अधिक पौधों की बिक्री हो रही है, वहीं हम लोगों से फुटकर ठेले वाले व महिलाएं भी इन पौधों को खरीदकर कॉलोनी व बाजारों में ऊंचे दामों पर बेच रही हैं।

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कई गांव-मोहल्लों में फैला है यह व्यापार, पूर्वांचल की जानी-मानी पौधों की है मंडी

नर्सरी का यह व्यापार मंडुआडीह, शिवदासपुर, मानिकपुर, केराकतपुर, लोहता, भिटारी समेत कई गांवों में फैला हुआ है जिससे नर्सरी संचालकों के साथ ही साथ इनके यहां कार्य करने वाले लोगों की जीविका भी चलती है। मंडुआडीह तथा आसपास फैली इन नर्सरियों से पौधे बलिया, गाजीपुर , मऊ, आजमगढ़ सहित कई शहरों में जाते हैं। नर्सरी संचालक अशोक मौर्या ने बताया की यहां के बनारसी लंगड़ा आम, कटहल, आंवला, देसी नींबू की प्रजाति के पेड़ बिहार, एमपी के साथ अन्य राज्यों में भी जाते हैंं तथा कोलकाता से चीकू, लीची ,माल्टा व आम की प्रजाति हिमसागर व स्वर्ण रेखा यहां आते हैं।

क्षेत्र में सैकड़ों नर्सरी संचालक

नर्सरी संचालकों का कहना है की शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले पौधों को तैयार होने में 70 से 80 दिन लगते हैैं। तैयार होने पर इन पौधों को जमीन से निकालकर अलग-अलग रखा जाता है। उसके बाद इन पौधों को मांग के अनुरूप अलग-अलग जिलों समेत कई प्रदेशों में भेजा जाता है।

इस बार एडवांस में अगली फसल की तैयारी

नर्सरी संचालक ओमप्रकाश बिंद, अशोक मौर्य, मूलचंद बिंद ने बताया की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले पौधों की तैयारी फरवरी महीने से ही शुरू हो जाती है। इस साल इन पौधों की मांग अधिक होने से हम लोगों ने इन पौधों की तैयारी दोबारा मई के महीने से ही शुरू करवा दी है।

ऑनलाइन डिलीवरी करने वाली कंपनियां भी मंगाती हैं पौधे

लोहता क्षेत्र के भिटारी की सीता देवी का कहना है कि नर्सरी का व्यापार उनके परिवार में पिछले 20 वर्षों से चल रहा है लेकिन विगत 2 वर्ष पूर्व इनके पति की मृत्यु हो जाने के बाद वे ही नर्सरी का पूरा कार्य देख रही हैं। मंडुआडीह क्षेत्र के ही नर्सरी संचालक दिनेश मौर्या ने बताया की ऑनलाइन डिलीवरी वाली कंपनियां भी इन लोगों से गुड लक, डेकोरेटिव पौधे, कंबोज, नवग्रह तथा अन्य घर के अंदर के सजावट वाले पौधे खरीदकर पूरे देश मे पौधों की डिलीवरी करती हैं। इसके साथ ही साथ इनके नर्सरी में भी लोग ऑनलाइन आर्डर देकर पौधे मंगाते हैं।


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