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शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने धर्मादेश जारी किया, राम मंदिर की मांग

शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने धर्मादेश जारी कर अयोध्‍या में राम मंदिर निर्माण की बात कही साथ ही कहा कि जनता की आकांक्षाओं को सरकार पूरा करे।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Wed, 28 Nov 2018 06:06 PM (IST)Updated: Wed, 28 Nov 2018 08:09 PM (IST)
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने धर्मादेश जारी किया, राम मंदिर की मांग
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने धर्मादेश जारी किया, राम मंदिर की मांग

वाराणसी, जेएनएन । काशी में तीन दिनों तक परम धर्म संसद चलने के बाद बुधवार को शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने धर्मादेश जारी कर अयोध्‍या में राम मंदिर निर्माण की बात कही साथ ही कहा कि जनता की आकांक्षाओं को केंद्र व राज्‍य सरकार पूरा करे। अयोध्‍या में राम मंदिर का निर्माण रामानंद ट्रस्ट करेगा और अवरोध को दूर कराने का प्रयास संत करेंगे। हाईकोर्ट से हम मुकदमा जीत चुके हैं। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद ने केंद्र और राज्‍य सरकार पर निशाना साधा और मुददों पर काफी मुखर होकर जवाब दिया। इस दौरान उन्‍होंने राम मंदिर को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ को भी कठघरे में खड़ा किया और सरकार से शीघ्र अयोध्‍या में राम मंदिर निर्माण की अपेक्षाओं को पूरा करने की बात कही।

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ज्योतिष एवं द्वारका शारदा पीठाधीश्वर शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने श्रीराम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए बुधवार को परम धर्मादेश जारी किया। इसमें उन्होंने श्रीराम जन्मभूमि मामले में तत्परता के लिए केंद्र सरकार व संसद से संविधान संशोधन का रास्ता सुझाया है। इसमें अनुच्छेद 133 व 136 में अनुच्छेद 226 (3) की तरह नई कंडिका प्रविष्ट कर श्रीराम जन्मभूमि मामले को लोकहित या राष्ट्रीय महत्व का प्रावधान करने को कहा है। बनारस में तीन दिनों तक चली परम धर्म संसद-1008 में देश भर से जुटे धर्मांसदों व साधु-संतों के प्रस्ताव पर विचारोपरांत उन्होंने इसे प्रेसवार्ता कर सार्वजनिक किया। कहा कि ऐसा करते ही स्थापित विधि व्यवस्था के तहत महत्वपूर्ण मामले का उच्चतम न्यायालय को चार सप्ताह के भीतर निबटारा करना होगा। ऐसा न करने पर उच्चतम न्यायालय का अंतरिम स्थगनादेश चार सप्ताह की अवधि समाप्त होने के साथ स्वत: निष्प्रभावी हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इस तरह के मामले में सभी पक्षकारों को नोटिस भेजने व कागजी कार्रवाई पूर्ण होने का प्रावधान है। आठ वर्ष से लंबित मामले में ये औपचारिकताएं पूरी की जा चुकी हैं।  


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