वाराणसी में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में कप्पा, बीटा और डेल्टा वैरिएंट ने मचाई थी तबाही
बनारस में कोरोना वायरस के सात सबसे खतरनाक वैरिएंट्स पाए गए हैं जिनमें एक डेल्टा वैरिएंट भी शामिल है। बनारस के कोरोना कहर में इस वैरिएंट की हिस्सेदारी 36 फीसद रही है। कोरोना की दूसरी लहर ने वाराणसी शहर में खूब कहर बरपाया।
वाराणसी,[ हिमांशु अस्थाना ]। बनारस में कोरोना वायरस के सात सबसे खतरनाक वैरिएंट्स पाए गए हैं, जिनमें कप्पा, बीटा और डेल्टा वैरिएंट भी शामिल है। बनारस के कोरोना कहर में इसी वैरिएंट ने सबसे ज्यादा तबाही मचाई थी। आइएमएस-बीएचयू के एमआरयू लैब से लिए गए 130 सैंपल में इस वैरिएंट की हिस्सेदारी 36 फीसद रही है। कोरोना की दूसरी लहर ने वाराणसी शहर में खूब कहर बरपाया था और घातक हो चुके संक्रमण ने अप्रैल माह में करीब पांच सौ से अधिक लोगों को मौत की नींद सुला दिया। अब बीएचयू और सीसीएमबी (सेंटर फॉर सेलुलर एंड माइक्रो बायोलॉजी) हैदराबाद के वैज्ञानिकों के संयुक्त अध्ययन में यह बात खुलकर सामने आ गई है कि बनारस में दुनिया भर के सात वैरिएंट ने मिलकर तांडव मचाया था। इसमें ब्रिटिश वैरिएंट को छोड़कर
अफ्रीकी वैरिएंट 'बीटा', वैरिएंट ऑफ कंसर्न या डबल म्यूटेंट वायरस, डेल्टा वैरिएंट जैसे खतरनाक वैरिएंट थे। इसमें कप्पा, बीटा और डबल म्यूटेंट भारत में ही पहली बार पाए गए हैं। हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस के दो नए वैरिएंट के ग्रीक नाम दिया है। इनमें एक बी.1.617.1 को कप्पा और बी.1.617.2 को डेल्टा कहा गया।
जीनोम सिक्वेंसिंग पर बीएचयू में हुआ अध्ययन
बनारस शहर के विभिन्न आयु समूह के लोगों के 130 सैंपल पर यह जीनोम सिक्वेंसिंग की गई है। इसमें दो सैंपल में अफ्रीकी वैरिएंट, चार में वैरिएंट ऑफ कंसर्न या डबल म्यूटेंट वायरस और ज्यादातर में डेल्टा वैरिएंट मिले हैं। बीएचयू के जीन विज्ञानी प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने विगत माह आइएमएस-बीएचयू के एमआरयू लैब की नोडल आफिसर प्रो. रोयना सिंह की मदद ये सैंपल जुटाए और उसे न्यूरोलाजिस्ट डॉ. अभिषेक पाठक और युवा वैज्ञानिक प्रज्जवल प्रताप के साथ व्यवस्थित कर हैदराबाद भेजा था। सीसीएमबी ने इसकी सिक्वेंसिंग कर आंकड़े प्रो. चौबे को भेजा जिसका विश्लेषण करने पर इतने वैरिएंट की जानकारी मिल है।
प्रो. रॉयना सिंह ने बताया कि हमारे अध्ययन में सबसे प्रमुख वेरिएंट ऑफ कंसर्न (वीओसी) बी.1.617, जिसको डबल म्युटेंट कहा जाता है वह मिला है। इस वैरिएंट को भारत में दूसरी कोविड लहर के प्रमुख कारकों में से एक बताया गया था। वहीं हमारे अध्ययन में बी.1.617.2 वैरिएंट ( डेल्टा संस्करण) के मामले सबसे ज्यादा थे। अन्य वैरिएंट में बी.1.351, जो पहली बार दक्षिण अफ्रीका में पाया गया था, वह भी पाया गया है। सीसीएमबी के सलाहकार डॉ राकेश मिश्रा इस सिक्वेंसिंग में शामिल थे।प्रो. चौबे ने बताया कि अफ्रीकी वैरिएंट बीटा इनमें से सबसे ज्यादा घातक है। उस पर वैक्सीन भी कम प्रभावी होता है।