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वाराणसी में गंगा घाट के तीर्थ पुरोहितों से शुल्क नहीं लेने का लिया गया फैसला, जन विरोध को माना आपत्ति

वाराणसी के गंगा घाटों पर धार्मिक कृत्य करने वाले तीर्थ पुरोहितों से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। 27 जुलाई को इसकी सूचना विभिन्न मीडिया के माध्यम से प्रकाशित की जाएगी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sat, 25 Jul 2020 06:20 AM (IST)Updated: Sat, 25 Jul 2020 04:59 PM (IST)
वाराणसी में गंगा घाट के तीर्थ पुरोहितों से शुल्क नहीं लेने का लिया गया फैसला, जन विरोध को माना आपत्ति
वाराणसी में गंगा घाट के तीर्थ पुरोहितों से शुल्क नहीं लेने का लिया गया फैसला, जन विरोध को माना आपत्ति

वाराणसी, जेएनएन। गंगा घाटों पर धार्मिक कृत्य करने वाले तीर्थ पुरोहितों से कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। पूर्व की भांति व्यवस्थाएं यथावत रहेंगी। इसके लिए 27 जुलाई को इसकी सूचना विभिन्न मीडिया के माध्यम से प्रकाशित की जाएगी। नगर आयुक्त ने शुक्रवार को यह फैसला लिया है।

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नगर आयुक्त ने अफसरों के साथ कैंप कार्यालय में बैठक की। इसमें गलत तरीके से दो न्यूज पेपर में प्रकाशित विज्ञापन को निष्प्रभावी बताया गया और इसको लेकर उपजे विरोध को ही जन आपत्ति मान ली गई। नगर आयुक्त गौरांग राठी ने बताया कि विज्ञापन के माध्यम से गंगा घाट पर साफ-सफाई को लेकर लोगों को सचेत करने की मंशा था जिसमें गंदगी करने पर जुर्माने के रूप में वसूली की चेतावनी दी गई थी। वह विज्ञापन किसी प्रकार का गजट नहीं था। विज्ञापन में कुछ बिंदुओं को लेकर बात स्पष्ट नहीं होने से जन विरोध देखने को मिला। हालांकि, नगर निगम प्रशासन ने वक्त रहते स्थिति को संभाल लिया और नए सिरे से प्रकाशन कर स्थित स्पष्ट करने का निर्णय लिया।

योजनाकारों पर कार्रवाई की मांग

वहीं, काशीगंगा तीर्थ पुरोहित संघ ने शुल्क नहीं लेने के नगर निगम के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने इसके लिए मंत्री डा. नीलकंठ तिवारी का विशेष तौर पर धन्यवाद दिया। साथ कमिश्नर, जिलाधिकारी, नगर आयुक्त द्वारा त्वरित शुल्क वापसी के आदेश देने की सराहना की। हालांकि, इससे काशीगंगा तीर्थ पुरोहित संघ की नाराजगी कम नहीं हुई है। राजू कन्नौजिया ने विज्ञप्ति जारी कर अव्यवहारिक टैक्स लगाने के योजनाकारों पर कार्रवाई की मांग की है।

प्रकाशित नियमावली अभी पारित नहीं

नगर निगम द्वारा घाटों पर स्थित सार्वजनिक जमीन को रेगुलेट करने के लिए एक ड्राफ्ट नियमावली बनाई है। उस नियमावली का प्रारूप संभवत: किसी द्वारा जारी किया गया है। इसमें अधिकारिक रूप से बताया जाता है कि यह नियमावली अभी किसी भी तरह अंतिम रूप से पारित नहीं हुई है ना ही लागू हुई है। इसमें जो भी प्रयोगकर्ता घाट के जिस भी स्थान का प्रयोग कर अपनी आजीविका के लिए कर रहे हैं उसे वहीं रेगुलेट करने में वरीयता दी जाएगी। इसमें किसी भी शुल्क का निर्धारण नहीं किया गया है। विशेष रूप से प्रतिदिन प्रयोग करने वाले नाविक, पंडा पुजारी, डोम आदि किसी भी श्रेणी के लिए धनराशि लगाने का अंतिम कोई निर्णय नहीं लिया गया है। अभी केवल यह सुझाव मात्र हैं और बहुत ही शुरुआती दौर में ड्राफ्ट मात्र है। सभी लोगों के सुझाव लेकर उसके बाद सभी पक्षों को देखते हुए इसका निर्णय लिया जाएगा।


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