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महबूबा मुफ्ती के खिलाफ जौनपुर में वाद, राष्ट्रध्वज के लिए अपमानजनक भाषा के प्रयोग का आरोप

पीडीपी नेता एवं जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती पर राजद्रोह एवं तिरंगे झंडे को लेकर अमर्यादित टिप्पणी करने के आरोप में जौनपुर में जेएम द्वितीय आलोक वर्मा की अदालत में दाखिल वाद की पोषणीयता (स्वीकार्यता) पर मंगलवार को बहस हुई।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 05 Jan 2021 06:15 PM (IST)Updated: Tue, 05 Jan 2021 11:00 PM (IST)
महबूबा मुफ्ती के खिलाफ जौनपुर में वाद, राष्ट्रध्वज के लिए अपमानजनक भाषा के प्रयोग का आरोप
पीडीपी नेता और जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती पर राजद्रोह का वाद दर्ज किया गया।

जौनपुर, जेएनएन। पीडीपी नेता एवं जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती पर राजद्रोह एवं तिरंगे झंडे को लेकर अमर्यादित टिप्पणी करने के आरोप में जेएम द्वितीय आलोक वर्मा की अदालत में दाखिल वाद की पोषणीयता (स्वीकार्यता) पर मंगलवार को बहस हुई। विधि व्यवस्थाओं का हवाला दिया गया। कोर्ट ने वाद पोषणीय मानते हुए  दर्ज किया तथा बक्सा थाने से रिपोर्ट तलब की।

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कोतवाली थाना क्षेत्र निवासी दीवानी न्यायालय के अधिवक्ता हिमांशु श्रीवास्तव ने अधिवक्ता उपेंद्र विक्रम ङ्क्षसह के माध्यम से अदालत में प्रार्थना पत्र दिया कि वादी की संविधान तथा कानून में गहरी आस्था व श्रद्धा है। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद वादी व पूरा देश गौरवान्वित हुआ कि अब पूरे भारत में तिरंगा झंडा लहराएगा एवं एक राष्ट्र-एक ध्वज पूरे देश में रहेगा। 23 अक्टूबर 2020 को जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने प्रेस कांफ्रेंस में वक्तव्य दिया कि अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए वह लड़ती रहेंगी। आज के भारत के साथ वह सहज नहीं हैं। हमारा ध्वज लूटा गया है। अभी तक उसकी वापसी नहीं हुई। मैं और कोई झंडा नहीं उठाऊंगी। जम्मू कश्मीर का झंडा जब हमारे हाथों में होगा तभी हम तिरंगा उठाएंगे। उनके इस भड़काऊ, राजद्रोहात्मक वक्तव्य की जानकारी मीडिया के माध्यम से वादी व गवाहों को हुई। गत 24 अक्टूबर को बक्सा थाना क्षेत्र के नौपेड़वा में अपने मित्र के यहां यह वक्तव्य देखा व सुना जिससे वादी व गवाहों को अत्यंत मानसिक कष्ट पहुंचा तथा अपमान व असंतोष पैदा हुआ।

अभी तक महबूबा मुफ्ती ने इस बयान के लिए माफी भी नहीं मांगी। उन्होंने देश को कमजोर करने, विधि द्वारा स्थापित सरकार के प्रति घृणा, अपमान, विद्वेष पैदा करने तथा विभिन्न वर्गों में शत्रुता, वैमनस्य, नफरत पैदा करने का प्रयास किया जो राजद्रोह की श्रेणी में आता है। उन्होंने भारत की शान तिरंगा झंडा के बारे में अमर्यादित टिप्पणी की जिससे वादी व गवाह अत्यंत व्यथित व पीडि़त हैं। वादी ने न्यायालय से मांग किया कि आरोपी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर विवेचना का आदेश दिया जाए जिससे न्याय हो और देश की एकता, अखंडता व संप्रभुता बनी रहे।


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