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मगरमच्‍छ के हमले के बाद से लापता सरताज का शव मीरजापुर में चौथे दिन बरामद

मगरमच्छ का शिकार बने सरताज उर्फ पप्पू को हलिया पुलिस के साथ मध्य प्रदेश के सीधी जिले से आयी पुलिस की कड़ी मशक्कत के बाद मंगलवार को दोपहर में चौथे दिन खोजने में सफलता मिली।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Tue, 05 Feb 2019 06:13 PM (IST)Updated: Tue, 05 Feb 2019 06:13 PM (IST)
मगरमच्‍छ के हमले के बाद से लापता सरताज का शव मीरजापुर में चौथे दिन बरामद
मगरमच्‍छ के हमले के बाद से लापता सरताज का शव मीरजापुर में चौथे दिन बरामद

मीरजापुर, जेएनएन। हलिया थाना क्षेत्र के पौड़ी रामपुर स्थित पिड़रिया बंधी में शनिवार को मगरमच्छ का शिकार बने सरताज उर्फ पप्पू को हलिया पुलिस के साथ मध्य प्रदेश के सीधी जिले से आयी पुलिस की कड़ी मशक्कत के बाद मंगलवार को दोपहर में चौथे दिन खोजने में सफलता मिली। सरताज के शव को देखते ही परिजनों में कोहराम मच गया। शनिवार को सरताज अपने साथी छोटेलाल कोल के साथ शौच के बाद बंधी में मछली पकड़ने के लिए जाल पानी में फैलाने लगा उसी समय बंधी में रह रहे मगरमच्छ ने सरताज को अपना शिकार बना लिया था। इस दौरान साथी शोर मचाते हुए भाग खड़े हुए।

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सूचना पर पहुंचे थानाध्यक्ष हलिया मध्य प्रदेश के सीधी जनपद से लाए गए वाटर दूरबीन के सहारे तीन दिन तक कड़ी मशक्कत से गहरे पानी में खोजते रहे। लेकिन सरताज गहरे पानी में न होकर बंधी के एक किनारे ही उसकी डेडबॉडी पानी में पाई गई। सरताज मध्य प्रदेश के सीधी जनपद के मढ़ौली गांव का निवासी था। बंधी से निकाले गए सरताज के शरीर पर खरोंच आदि का निशान नही मिला वह सिर्फ हाफ पैंट पहने हुआ था। सरताज दो वर्ष पूर्व पत्नी तथा दो बच्चों के साथ हलिया के सूरज गढ़ सिधवनिया में झुग्गी झोपड़ी बनाकर बटाई पर खेती तथा चूड़ी बेचकर अपने परिवार का गुजर बसर करता था।

सरताज को खोजने में हलिया थानाध्यक्ष के साथ उपनिरीक्षक राम ज्ञान सिंह यादव थाने के आधा दर्जन पुलिस कर्मियों एवं मध्य प्रदेश के सीधी जिले के अमिलिया थाना के उपनिरीक्षक के पी सिंह चौहान, नंदी लाल, लोलर सिंह, राम सजीवन, रामकरण, मिठाई लाल के अलावा गोताखोरों के सहयोग से कड़ी मशक्कत के बाद सरताज को बंधी से निकालने में सफलता मिली। थानाध्यक्ष ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम हेतु भेज दिया। थानाध्यक्ष विश्व ज्योति राय ने बताया कि शरीर पर चोट खरोंच का निशान नही था पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही मृत्यु के कारणों का पता चल सकेगा।


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