रूढिय़ों का तिरस्कार ; मां के शव को कंधा देने बाद तेरहवीं संस्कार पर बेटियों ने किया पौधरोपण
रज्जी देवी के तेरहवीं संस्कार पर रविवार को बरियासनपुर में उनकी बेटियों ने अनूठा निर्णय लिया। गांव की महिलाओं संग मिलकर बेटियों ने पौधे रोपे।
वाराणसी, जेएनएन। परिभाषाएं गढ़ती हैं, वर्जनाएं तोड़ती हैं। रूढिय़ों का तिरस्कार कर सामाजिकता पढ़ती हैं। नारी शक्ति हैं देवी का स्वरूप, जो नव-संस्कार सृजित करती हैं। जी हां..., इसकी बानगी रविवार को बरियासनपुर गांव में देखने को भी मिली।
स्व. रज्जी देवी के तेरहवीं संस्कार पर रविवार को बरियासनपुर में उनकी बेटियों ने अनूठा निर्णय लिया। गांव की महिलाओं संग मिलकर बेटियों ने पौधे रोपे। साथ ही समाज को सोचने-समझने का नया आयाम दिया। तेरहवीं भोज के नाम पर होने वाली फिजूलखर्ची पर न सिर्फ लगाम लगाया बल्कि रूढ़ीवादी परंपरा का परित्याग करते हुए पर्यावरण संरक्षण के लिए समाज को प्रेरित भी किया। रज्जी देवी का देहांत 18 सितंबर को हुआ था। शवयात्रा में बेटी प्रेमा व हीरामनी सहित गांव की सुनीता, सुधा, शकुंतला, अमरावती, अंजनी आदि ने कंधा देकर रूढिय़ों की वर्जनाएं तोड़ी थीं। वहीं अब समाज में नव-संस्कार का सृजन किया। लोगों को पर्यावरण संरक्षण से जोड़ते हुए सृजनात्मकता पर बल दिया ताकि हमारी भावी पीढ़ी को शुद्ध जल और वायु की सौगात से वंचित न होना पड़े।
इस अवसर पर ग्राम प्रधान देवराज पटेल, बालकिशुन पटेल, हरिश्चंद्र, त्रिभुवन पटेल, पूर्व जिलापंचायत सदस्य महेंद्र मोर्य, शोभनाथ, बाबूलाल आदि ने प्रेमा व हीरामनी की प्रशंसा करते हुए सभी को पर्यावरण संरक्षण से जुडऩे का आह्वान किया।