बेटी-बहुओं ने दिया मां की अर्थी को कंधा, शवयात्रा में महिलाएं शामिल
वाराणसी में मां की इच्छा पर बेटी और बहुओं ने अर्थी को कंधा दिया तो शवयात्रा में महिलाएं शामिल हुई।
वाराणसी : परंपराएं टूटने का हवाला देकर भावनाओं को थामने वालों के लिए रविवार का दिन काफी जुदा था। यहां मां की अपेक्षा थी तो बेटी की भी जिद मां की अर्थी को कंधा देने का था। सामाजिकता की दुहाई जमाने वाले लाख देते रहे मगर महिलाएं टस से मस नहीं हुई। बेटियों की जिद में बहुओं का भी साथ मिला तो अर्थी को कंधा बेटियों और बहुओं ने मिल कर दिया और शवयात्रा में साथ मिला गांव की उस आधी आबादी का जिसे शवयात्रा में जाने की इजाजत नहीं होती थी।
मामला चिरईगांव ब्लाक के बरियासनपुर गांव का है जहां रविवार को 95 वर्षीय संतोरा देवी का निधन हो गया। उनकी इकलौती बेटी पुष्पावती पटेल ने मां की अर्थी को न सिर्फ कंधा देने का निर्णय लिया, बल्कि बहुओं व पड़ोसी महिलाओं ने शवयात्रा भी निकाली। मृतका के दो पुत्र मौके पर ही उपस्थित थे, सामाजिक मर्यादा की दुहाई देते हुए समझाने का प्रयास किया लेकिन बेटी की जिद के आगे लोगों की एक भी नहीं चली।
शव यात्रा बरियासनपुर से निकलकर एक किलोमीटर आगे चिरईगाव विकास खंड मुख्यालय तक गई और सरायमोहाना घाट पर अंतिम संस्कार हुआ। सालों पहले मृतका के पति के निधन के वक्त संतोरा ने नेत्रदान का संकल्प लिया था, यह भी कहा था कि मरने के बाद उसकी अर्थी को कंधा इकलौती बेटी ही देगी, ताकि समाज का यह मिथक टूटे कि बेटा ही अर्थी को कंधा दे सकता है। मरणोपरात बुजुर्ग महिला ने नेत्रदान कर अपना संकल्प पूरा किया। शवयात्रा में महिला की तीनों बहुएं प्रभावती, अमरावती, कलावती के साथ ही गांव की शशिदेवी, आरती, इंदु व कुसुम समेत दर्जनों महिलाओं के साथ ही ग्राम प्रधान देवराज पटेल, वालकिशुन, सुशील, चंद्र बली, सुभाष आदि शामिल रहे।