बनारस में 'डी' गैंग की दस्तक, हवाला के जरिए कई बड़े प्रोजेक्ट में डाली जा रही लंबी रकम
वाराणसी में कानून-व्यवस्था बड़ी चुनौती बन गई है। जरायम की दुनिया में हवा बह रही है कि वाराणसी में अब देश के मोस्टवांटेड दाऊद के गैंग ने दस्तक दे दी है।
वाराणसी, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में कानून-व्यवस्था बड़ी चुनौती बन गई है। जरायम की दुनिया में हवा बह रही है कि वाराणसी में अब देश के मोस्टवांटेड दाऊद के गैंग ने दस्तक दे दी है। हवाला के जरिए यहां कई बड़े प्रोजेक्ट में लंबी रकम डाली जा रही है। आर्थिक साम्राज्य को मजबूत करने के साथ ही विरोधियों को भी रास्ते से हटाने का काम शुरू हो चुका है। पूर्वांचल में चल रहे इस खेल की जानकारी खुफिया एजेंसियों तक भी पहुंच चुकी है। पुलिस प्रशासन भी नजर बनाए है।
जेल में हुई मुलाकात
यूपी में क्षेत्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त एक पार्टी का महाराष्ट्र में झंडा बुलंद करने वाले कद्दावर ने बीते 24 जून को केंद्रीय कारागार में पूर्वांचल के एक बाहुबली से मुलाकात की थी। आजमगढ़ के रहने वाले महाराष्ट्र के इन कद्दावर नेता पर डी गैंग से आरोप के रिश्ते लगते रहे हैं। मुंबई बम धमाके में भी इनका नाम सामने आया था।
माना जाता है कि एक कारोबारी के जरिए महाराष्ट्र के नेता ने वाराणसी में तैयार एक शापिंग मॉल और एक रेजिडेंशियल अपार्टमेंट में लंबी रकम लगा रखी है। सूत्रों की माने तो इस बार कद्दावर नेता ने कारोबारी के जरिए जेल में बंद पूर्वांचल के बाहुबली से लंबी मीटिंग की। इस मीटिंग के बाद ही एक दूसरे की जरूरतों को पूरा करने की डील फाइनल हुई।
लांचिंग की तैयारी को झटका
डी गैंग से ही कभी ताल्लुक रखने वाले पूर्वांचल के एक बाहुबली का मुंबई कनेक्शन काफी पुराना रहा है। सारनाथ की एक बेशकीमती जमीन पर बाहुबली परिवार की नजर लंबे समय से थी। यहां पर होटल के साथ ही अन्य प्रोजेक्ट तैयार किया गया था। इस प्रोजेक्ट के सहारे ही बाहुबली परिवार की नई पीढ़ी को बनारस के बिजनेस संसार में लांच करने की तैयारी थी।
प्रशासनिक कर्मचारियों की मिलीभगत से कागजात तक तैयार कराए गए। इस प्रोजेक्ट में महाराष्ट्र के कद्दावर नेता के खास को भी साझेदार के तौर पर शामिल किया गया था क्योंकि पूरी फंडिंग की जिम्मेदारी इसी पर थी। बीते 24 सितंबर को ही सारनाथ में भोज का आयोजन किया गया था। इस भोज के बहाने ही उस जमीन पर अपना दावा पुख्ता करना था लेकिन एक शिकायत के बाद पुलिस-प्रशासन नींद से जागा और आननफानन में जमीन को अपने कब्जे में लिया।
गिराए जा रहे विरोधी गैंग के विकेट
पूर्वांचल में बारह घंटे के भीतर एक तरफ वाराणसी के तहसील सदर में ठेकेदारी व बस संचालन के धंधे से जुड़े नितेश सिंह की हत्या कर दी जाती है तो दूसरी तरफ सोनभद्र के रेनुकूट में नगर पंचायत अध्यक्ष शिवप्रताप सिंह की गोली मारकर हत्या हो जाती है। सूत्रों की माने तो नितेश सिंह की हत्या के पीछे गहरी साजिश है। पुलिस का दावा है कि नितेश का बीकेडी से संबंध था। नितेश बीकेडी की आर्थिक मदद किया करता था जो विरोधी गैंग को खटक रहा था। कुछ पुलिस अधिकारियों से रिश्ते के चलते नितेश का वर्चस्व भी बढ़ता जा रहा था। सारनाथ, कैंट और शिवपुर इलाके में नितेश की बढ़ती गतिविधियां विरोधी गैंग को परेशान कर रही थीं क्योंकि वह उनके आर्थिक किले को मजबूत करने के आड़े आ रहा था। नितेश की हत्या जिस तरीके से की गई उससे पुलिस महकमे के पुराने तीरंदाज भी मान रहे कि यह काम किसी छुटभैया बदमाश का नहीं बल्कि किसी बड़ी गैंग के शार्प शूटर का है। नितेश की हत्या के बाद से बजरंगी से जुड़े पूर्वांचल के एक अधिवक्ता पर भी खतरा मंडराने लगा है।
जौनपुर का बाहुबली भी आया साथ
बदले राजनीतिक समीकरण और माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की मौत के बाद से एक बाहुबली परिवार का वर्चस्व तेजी से बढ़ा है। राजनीतिक गलियारे में बढ़ती ताकत के चलते पूर्वांचल के अन्य जिलों के बाहुबली भी एक-एककर बाहुबली परिवार से जुड़ रहे हैं। बागपत जेल में बजरंगी की हुई हत्या के मामले में जौनपुर के एक बाहुबली का नाम जरायम की दुनिया में तेजी से उछला था। हत्या के कुछ दिन बाद हकीकत सामने आई कि बाहुबली भी एक मोहरा ही था क्योंकि उसका आर्थिक साम्राज्य बुरी तरह डगमगा चुका है। आर्थिक साम्राज्य बचाने के लिए लंबे समय से रंजिश रखने वाले बाहुबली ने भी पनाह मांग ली और अपने वजूद की खातिर विरोधी गैंग से हाथ मिला लिया। जौनपुर के बाहुबली ने भी बीते दिनों गुपचुप तरीके से केंद्रीय कारागार में मुलाकात की थी।