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सिपाही भर्ती परीक्षा 2018 में साइबर सेंधमारी, साल्वर गैंग के नकली थंब इंप्रेशन के जरिए करते थे खेल

पुलिस महकमा भी साइबर क्राइम का शिकार हो गया है। हैरत की बात यह कि साइबर अपराधियों ने सेंधमारी भी की तो सिपाहियों की भर्ती परीक्षा में।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 16 Dec 2019 02:11 PM (IST)Updated: Mon, 16 Dec 2019 03:51 PM (IST)
सिपाही भर्ती परीक्षा 2018 में साइबर सेंधमारी, साल्वर गैंग के नकली थंब इंप्रेशन के जरिए करते थे खेल
सिपाही भर्ती परीक्षा 2018 में साइबर सेंधमारी, साल्वर गैंग के नकली थंब इंप्रेशन के जरिए करते थे खेल

वाराणसी, जेएनएन। पुलिस महकमा भी साइबर क्राइम का शिकार हो गया है। हैरत की बात यह कि साइबर अपराधियों ने सेंधमारी भी की तो सिपाहियों की भर्ती परीक्षा में। अब साइबर अपराध का सहारा लेकर महकमे में आने वाले सिपाही किस मानसिकता के होंगे, अंदाजा लगाया जा सकता है।

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आरक्षी भर्ती परीक्षा-2018 में आनलाइन वेरिफिकेशन की प्रक्रिया के दौरान नकली अंगूठे के छाप के जरिए सत्यापन के खेल का राजफाश करते हुए वाराणसी पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार लोगों में एक अभ्यर्थी राकेश कुमार पिपरा थाना दुबहड़ जिला बलिया और दूसरा विवेक यादव कम्हरिया थाना तरवां, आजमगढ़ का रहने वाला है। गिरफ्ता प्रदीप कुमार भारद्वाज निवासी कल्लीपुर, मिर्जामुराद टीसीएस का कर्मचारी है।

दस्तावेजों के सत्यापन के दौरान हुआ राजफाश

एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने रविवार को पुलिस लाइन सभागार में मीडिया से बताया कि आरक्षी भर्ती 2018 में लिखित परीक्षा पास कर चुके अभ्यर्थियों के सत्यापन का काम चल रहा है। लिखित परीक्षा के दौरान अभ्यर्थियों की फोटो और थंब इंप्रेशन लेने की जिम्मेदारी टीसीएस कंपनी को दी गई थी। दस्तावेजों के सत्यापान प्रक्रिया के तहत इन दिनों पुलिस लाइन में अभ्यर्थियों के थंब इंप्रेशन के वेरीफिकेशन का भी काम चल रहा है। शनिवार को आजमगढ़ का विवेक आया था। थंब इंप्रेशन देने के दौरान वहां मौजूद एक सिपाही को उसके अंगूठे को देखकर शक हुआ। उसे पकड़ लिया। जांच हुई तो वह रबर की झिल्ली थी जिसपर साल्वर के अंगूठे की छाप थी। पूछताछ में विवेक ने बताया कि उसके स्थान पर एक साल्वर ने परीक्षा दी थी। बायोमेट्रिक थंब वेरीफिकेशन के साथ ही शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच के चलते साल्वर यहां नहीं आ सकता था इसलिए उसने रबर की झिल्ली पर अपने अंगूठे की छाप तैयार करके दिया था। खेल बिगड़ गया वहां मौजूद सिपाही नंदलाल चौहान के चलते जिसने उसे अपने अंगूठे से झिल्ली उतारते हुए देख लिया। बिहार की साल्वर गैंग से विवेक किसी देव नाम के लड़के के जरिए जुड़ा था।

फोटो के बैकग्राउंड से पकड़ा गया राकेश

विवेक के पकड़े जाते ही महकमे में खलबली मच गई। भर्ती प्रक्रिया में आनलाइन फर्जीवाड़ा की बात सामने आते ही एक बार फिर दस्तावेजों को अब तक सत्यापित हुए लोगों की जांच दोबारा की गई। इस दौरान एक अभ्यर्थी राकेश की तस्वीर देखकर पुलिस अधिकारी ठिठक गए क्योंकि राकेश की फोटो का बैकग्राउंड पुलिस लाइन का नहीं बल्कि किसी कमरे का था। पुलिस ने सर्विलांस के जरिए राकेश को कैंट इलाके से दबोचा। पूछताछ में राकेश ने बताया कि टीसीएस में कार्यरत प्रदीप भारद्वाज ने उसकी फोटो ली थी और उसी ने सत्यापित किया था। एक लाख 70 हजार रुपये में सौदा तय हुआ था।

कहीं से भी कर लेते लॉग-इन

पुलिस ने प्रदीप को पकड़ा तो पता चला कि उसने भर्ती प्रक्रिया से संबंधित साफ्टवेयर अपने लैपटाप में अपलोड कर रखा था। वह कहीं से भी लाग-इन कर सकता था।

इलेक्ट्रानिक उपकरणों व अभिलेखो में छेड़छाड़ कर फर्जी एवं कूटरचित तरीके से पास कराने के मामले में पुलिस ने विवेक, राकेश और प्रदीप के खिलाफ दो अलग-अलग एफआइआर कैंट थाने में दर्ज कराया है।

कंपनी के खिलाफ कार्रवाई, साफ्टवेयर में सुधार को पत्र

एसएसपी ने बताया कि परीक्षा से संबंधित ऑनलाइन प्रक्रिया के लिए टीसीएस से करार हुआ है। परीक्षा में हुई धांधली में टीसीएस से जुड़े कर्मचारी का नाम सामने आने पर सत्यापन कार्य को लेकर अब पैनी नजर रखनी होगी। कंपनी के खिलाफ कार्रवाई के साथ ही साफ्टवेयर और पासवर्ड प्रक्रिया में सुधार के लिए पुलिस मुख्यालय को पत्र लिखा गया है।


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