सोनभद्र बना प्राथमिक शिक्षा में रोल माडल, प्रदेश भर में लागू हुई 'बाला एक्टिविटीज'
सोनभद्र में परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों से बच्चों व अभिभावकों का मोह भंग देख नीति आयेाग ने बाला एक्टिविटीज का सफल क्रियान्वयन किया है।
सोनभद्र [सुजीत शुक्ल] । परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों से बच्चों व अभिभावकों का मोह भंग होते देख नीति आयोग के निर्देशानुसार सोनभद्र ने बाला एक्टिविटीज (बिल्डिंग ऐज लर्निंग एड्स) का सफल क्रियान्वयन किया। इससे यहा के विद्यालयों में न सिर्फ बच्चों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई बल्कि बच्चे पहले से ज्यादा समझदार व जानकार भी हुए। ऐसे में अब सोनभद्र को रोल माडल बनाकर यहा की तर्ज पर प्रदेश के सभी विद्यालयों में बाला एक्टिविटीज कराने का फरमान जारी हुआ है।
बेसिक शिक्षा परिषद के निदेशक ने सभी जिलों के बीएसए को पत्र भेजकर सोनभद्र की तर्ज पर बाला एक्टिविटीज का क्रियान्वयन कराने का निर्देश दिया है। इसमें विद्यालय के हर कोने को जागरुक करती चित्रों से सजाया जाएगा ताकि बच्चा हर जगह से कुछ न कुछ सीखे और संस्कारी हो। देश के 115 एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक में शामिल सूबे के सोनभद्र जिले में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए सरकार की शीर्ष थिंक टैंक नीति आयोग ने विशेष पहल की। यहा परिषदीय स्कूलों में बच्चों का ठहराव हो और उन्हें आनंददायी शिक्षा लेने में सहूलियत मिले इसके लिए शिक्षा विभाग के सहयोग से बाला एक्टिविटीज को क्रियांवित कराया। इसका परिणाम भी सकारात्मक कराया। पहले चरण में जिले के कुल 200 स्कूलों का चयन कर सोन कायाकल्प योजना के तहत विद्यालयों का सुंदरीकरण कराया गया।
यहां के भवन इस लायक बनाए गए कि यहा पहुंचने वाले बच्चे हर समय कुछ न कुछ सीखते रहें। इसका सकारात्मक परिणाम आने पर शिक्षा निदेशक (बेसिक) डा. सर्वेंद्र विक्रम बहादुर सिंह ने इसे हर जिले में लागू करने का निर्देश जिलों के बीएसए पत्र के माध्यम से दिया है। कहा है कि जिस तरह से सोनभद्र में बाला एक्टिविटीज की गई उसी तरह से प्रत्येक जनपद अपने यहा के पाच-पाच विद्यालयों का चयन करके क्त्रियान्वित कराएं।
क्या है बाला एक्टिविटीज : बाला एक्टिविटीज (बिल्डिंग ऐज लर्निंग एड्स) यानी विद्यालय भवन को सीखने एवं सिखाने का माध्यम बनाकर शैक्षिक गतिविधियों को संचालित करने का प्रयास किया जाता है। इससे बच्चे जब विद्यालय में जाते हैं तो उनका मन लगता है। वे एक तो नियमित हो जाते हैं और स्कूलों में उनका ठहराव भी होता है। इसके तहत विद्यालयों की दीवारों पर तरह-तरह की पेंटिंग की जाती है। विभिन्न तरह की जानकारिया दीवारों पर लिखी जाती हैं। जो बच्चों के हर समय सीखने में मददगार होती हैं। सोनभद्र में चल रही बाला एक्टिविटीज को प्रदेश के अन्य जनपदों में लागू करने के लिए विशेष सचिव (बेसिक) ने एक पत्र जारी किया है। उनका पत्र यहा भी आया है। उसमें स्पष्ट लिखा गया है कि प्रत्येक जनपद अपने यहा के पाच-पाच विद्यालयों का चयन प्रायोगिक तौर पर करें। इस तरह की पहल से निश्चित ही शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है और हो भी रहा है। - डा. गोरखनाथ पटेल, बीएसए-सोनभद्र।