Move to Jagran APP

सेम की नई प्रजाति की खेती में लागत आधी, बिना मचान जमीन पर ही मुनाफा दोगुना Varanasi news

आइआइवीआर (भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान) ने सेम की चार ऐसी प्रजातियां विकसित की हैं जो बिना मचान के जमीन पर ही खूब फल रही हैं।

By Edited By: Published: Sat, 03 Aug 2019 01:13 AM (IST)Updated: Sat, 03 Aug 2019 09:24 AM (IST)
सेम की नई प्रजाति की खेती में लागत आधी, बिना मचान जमीन पर ही मुनाफा दोगुना Varanasi news
सेम की नई प्रजाति की खेती में लागत आधी, बिना मचान जमीन पर ही मुनाफा दोगुना Varanasi news

वाराणसी [मुकेश चंद्र श्रीवास्तव]। आइआइवीआर (भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान) ने सेम की चार ऐसी प्रजातियां विकसित की हैं जो बिना मचान के जमीन पर ही खूब फल रही हैं। खास बात है कि इसकी फली मात्र ढाई माह (70 से 80 दिन) में ही तैयार हो जा रही हैं, जबकि अन्य सेम को तैयार होने में 100-120 दिन लग जाते हैं। खेती की लागत में भी करीब 45 प्रतिशत तक की बचत हो रही है। रमना व बनपुरवा के आसपास के गांवों में करीब 100 हेक्टयर पर इसकी खेती की जा रही है, जो किसानों के लिए बेहद मुनाफे का सौदा साबित हो रही है। यहां से कोलकाता, बिहार, दिल्ली के साथ ही पूरे प्रदेश में आपूर्ति की जा रही है।

loksabha election banner

ये हैं चार प्रजातियां  : संस्थान के निदेशक डॉ. जगदीश सिंह के दिशा-निर्देश में प्रधान वैज्ञानिक डॉ. नागेंद्र राय ने इन चार प्रजातियों वीआर बुश सेम-3, वीआर बुश सेम-8, वीआर बुश सेम-9 व वीआर बुश सेम-18 को विकसित किया।

-खर्च व समय की भी बचत मचान पर चढ़ने वाली प्रजातियों की बुआई जुलाई-अगस्त के दूसरे सप्ताह तक कर दी जाती है, जबकि इस छोटे आकार की बुआई सितंबर के दूसरे सप्ताह से शुरू कर अक्टूबर के दूसरे सप्ताह तक भी कर सकते हैं। लेट बुआई के बाद भी फलियों की तुड़ाई साथ में ही शुरू हो जाती है। यानी खेती में 30-40 दिन का समय कम लगता है। साथ ही बाढ़ का भी कोई खतरा नहीं रहता है।

- अन्य प्रजातियों के लिए मचान बनाने में काफी खर्च आता है। पौधों के मचान पर होने के कारण फलियों की तुड़ाई एवं बीमारियों व कीड़ों की रोकथाम के लिए दवाइयों के छिड़काव के लिए भी 10 से 15 प्रतिशत तक अतिरिक्त खर्च लग जाता है। इसके कारण किसानों की लागत बढ़ जाती है। ऐसे में राष्ट्रीय स्तर पर छोटे आकार की फसल ने अच्छे परिणाम दिए हैं। अगले साल तक सभी किसानों को इनके बीच उपलब्ध करा दिए जाएंगे। डॉ. जगदीश सिंह, निदेशक आइआइवीआर, वाराणसी

अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.