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बांध में बह गए करोड़ों रुपये, किसान आज भी देख रहे पानी की राह

हलिया विकास खंड के सैकड़ों गांवों के किसानों की खेत सिंचाई के अभाव आज भी परती पड़ी हुई। जबकि क्षेत्र में करोड़ों की लागत से बंजारी बंधा व अदवां बांध निर्माण कराया गया है लेकिन वर्तमान में विभागीय लापरवाही के चलते अनुपयोगी साबित हो रही है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sun, 25 Oct 2020 04:14 PM (IST)Updated: Sun, 25 Oct 2020 04:14 PM (IST)
बांध में बह गए करोड़ों रुपये, किसान आज भी देख रहे पानी की राह
करोड़ों की लागत से गड़बड़ाधाम (मीरजापुर) में बना बंजारी व अदवा बांध साबित हो रहा अनुपयोगी।

मीरजापुर, जेएनएन। हलिया विकास खंड के सैकड़ों गांवों के किसानों की खेत सिंचाई के अभाव आज भी परती पड़ी हुई। जबकि क्षेत्र में करोड़ों की लागत से बंजारी बंधा व अदवां बांध निर्माण कराया गया है, लेकिन वर्तमान में विभागीय लापरवाही के चलते अनुपयोगी साबित हो रही है। किसानों का मानना है कि अगर इन दोनों बांध को सुखड़ा बांध से जोड़ दिया जाए तो सैकड़ों किसानों की हजारों एकड़ पड़ी परती भूमि आज फसलों से लहलहा उठेगी। जबकि इस संबंध में कई बार विभागीय अधिकारियों के अलावा जनप्रतिनिधियों से किसानों द्वारा गुहार लगाई गई है लेकिन आज तक इस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया जिसका खामियाजा आज क्षेत्र के किसानों को भुगतना पड़ रहा है।

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तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार द्वारा शुरू की गई योजना

हलिया विकास खंड में कई वर्ष तक पड़े भयंकर सूखे से निपटने के लिए तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार द्वारा दीर्घायु सिचाईं के लक्ष्य से संभावित क्षेत्रों में बंधा निर्माण योजना शुरू की गई। उसी समय मड़वा में खोदाईपुर के नाम से मिट्टी के दो किलोमीटर लंबा, लगभग 20 मीटर ऊंचा बंधे का निर्माण शुरू कर दिया गया जो कि कई करोड़ की लागत के बाद वर्ष 1963 में मड़वा बंधा के नाम से बनकर तैयार हो गया। इसके तहत मड़वा धनावल, खोदाईपुर, करनपुर, कठारी, भैसोड़ जेर, चंद्रगढ़, महोगढ़ी, देवहट, सेमरिहा समेत दर्जनों गांवों के किसान उक्त बंधे से सिचाईं करने की योजना बनाई गई थी लेकिन वर्तमान में अनुपयोगी साबित हो रही है।

दोनों बांध को सुखड़ा बांध से जोड़ दिया तो  मिलेगी सहूलियत

इस परियोजना से वंचित पैरल ग्राम बंजारी कला इंद्र वार धनावल के असिंचित भू-भाग को सिंचित करने के उद्देश्य तत्कालीन सिचाईं मंत्री लोकपति त्रिपाठी के प्रयास से वर्ष 1986 में दो किलोमीटर लंबा तथा लगभग 15 मीटर ऊंचा मिट्टी का बड़ा बांध निर्माण की योजना स्वीकृत की गई। वर्ष 1989 में कार्य आरंभ हुई और एसी सतीश चंद्र मिश्रा व जेई रघुवंश सिंह की देखरेख में कार्य शुरू हो गया। वर्ष 2004 में बंजारी बंधा के नाम से तैयार हो गया। क्षेत्र के शिवदान बहादुर सिंह ने बताया कि उक्त दोनों बंधे सरकारी तंत्र के उपेक्षा के कारण आज की स्थिति में अनुपयोगी हो गए हैं। अगर दोनों बांध को सुखड़ा बांध से जोड़ दिया तो किसानों को काफी हद तक सिंचाई करने में सहूलियत मिलेगी।

इन किसानों ने की मांग

क्षेत्र के विनय  सिंह, छोटे  सिंह, सूर्यप्रताप  सिंह, संजय  सिंह, दिलीप  सिंह, सुरेंद्र बहादुर  सिंह, तेजबली दुबे, शोभनाथ पाल, जग्गीलाल पाल, सालिक राम वशिष्ठ दुबे, अजय  सिंह, नच्चू  सिंह, आशीष, दिलीप दुबे चन्द्रमणि दुबे आदि किसानों का कहना है कि इन दोनों बंधे को समीप के ही सुखड़ा बांध से जोड़ दिया जाए तो हजारों एकड़ सिंचित जमीन सिंचित हो जाएगी।


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