बाढ़ ने कर दिया शवदाह गृह का अंतिम संस्कार, पार्थिव शरीर को मुक्ति से पूर्व बाढ़ में बह गए Varanasi news
तीन गावों रमना मुड़ादेव बेटावर में ग्रामीणों की सुविधा के लिए बनाए जा रहे शवदाहगृह पार्थिव शरीर को मुक्ति देने से पहले गंगा की बाढ़ में बह गए।
वाराणसी [रवि पांडेय]। काशी विद्यापीठ विकास खंड में गंगा के तटवर्ती तीन गांवों रमना, मुड़ादेव, बेटावर में ग्रामीणों की सुविधा के लिए बनाए जा रहे शवदाहगृह पार्थिव शरीर को मुक्ति देने से पहले गंगा की बाढ़ में बह गए। जबकि ग्रामीणों ने शवदाह गृह का निर्माण ऊंचाई पर कराने का सुझाव दिया था, जिसकी अनदेखी के चलते तीनों शवदाह गृह में खर्च लाखों रुपये बाढ़ में बह गए। अब नए सिरे से इनका निर्माण कराना होगा। रमना गांव के प्रधानपति आनंद पटेल ने बताया कि जब शवदाह गृह के निर्माण की बात शुरू हुई तो यह कहते हुए मना किया गया कि बाढ़ के समय बह जाएगा, लेकिन ग्रामीणों की बात न मान निर्माण शुरू कर दिया गया, मगर तैयार होने से पूर्व बाउंड्री व कमरे बाढ़ के बहाव में टूटकर बह गए।
मानी होती बात तो न होता नुकसान : मुड़ादेव के ग्राम प्रधान रमेश साहनी ने बताया कि ग्रामीणों की बात न मानते हुए ठेकेदार ने काम शुरू कर दिया। शवदाह गृह गंगातट से कुछ दूर ऊंचाई वाली जगह पर बनता तो ये स्थिति नहीं आती। सुझाव की अनदेखी के चलते लाखों रुपये बाढ़ में बह गए। इसी तरह बेटावर में निर्माणाधीन शवदाहगृह भी बाढ़ की चपेट में है।
एक शवदाह गृह की लागत 25 लाख : काशी विद्यापीठ विकास खंड के एडीओ पंचायत शीतला प्रसाद पाडेय ने बताया कि तीन गावों में शवदाह गृह बनाया जा रहा है। इनमें प्रत्येक की लागत करीब 25-25 लाख है। इसमें दो बड़े हॉल, शौचालय व खुले में टिनशेड बनाने का काम लगभग पूरा हो गया था। जो अब बाढ़ की भेंट चढ़ गया। उधर, छितौनी के ग्राम प्रधान श्रवण सिंह ने बताया कि करीब चार वर्ष पहले गंगा किनारे बना शवदाह गृह भी पूरी तरह से गंगा की बाढ़ में डूब गया है।