वाराणसी में मुन्ना बजरंगी का अंतिम संस्कार, 14 वर्षीय पुत्र समीर ने दी मुखाग्नि
मुन्ना बजरंगी के शव को 14 वर्षीय पुत्र बेटे समीर सिंह ने मुखाग्नि दी। इस दौरन वहां पर मुन्ना बजरंगी के समर्थकों का हुजूम भारी संख्या में घाट पर मौजूद था।
वाराणसी (जेएनएन)। माफिया डॉन प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी का आज दोपहर में भारी सुरक्षा के बीच वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर विधि विधान से अंतिम संस्कार कर दिया गया। मुन्ना बजरंगी के 14 वर्षीय पुत्र समीर सिंह ने मुखाग्नि दी।
दो दशकों से पूर्वांचल समेत पश्चिम उत्तरप्रदेश में आतंक के पर्याय बने प्रेम प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना बजरंगी का अंत हो गया। बागपत जेल में सोमवार की सुबह उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। भारी सुरक्षा के बीच मंगलवार की दोपहर करीब साढ़े 12 बजे मणिकर्णिका घाट पर शव का दाह संस्कार हुआ जहां उसके 14 वर्षीय बेटे समीर ने मुखाग्नि दी। इस दौरान बड़ी संख्या में उसके करीबी श्मशान घाट पर जुटे थे।
शवयात्रा में लगभग 100 वाहनों से लोग चल रहे थे। पुलिस उसमें शामिल लोगों की गतिविधियों पर नजर रखने के साथ ही सुरक्षित ढंग से शवयात्रा को जिले की सीमा पार कराने में मुस्तैद थे। इस दौरान गांव से लेकर बाहर तक भारी भीड़ जमा रही। दूसरे जिलों के लोग भी यहां देखे गए। इस दौरान वाराणसी की पुलिस को भी अलर्ट कर दिया गया था। जिले की सीमा में शवयात्रा के पहुंचते ही स्थानीय पुलिस ने मोर्चा संभाल लिया। पुलिस व पीएसी की सुरक्षा में शव को मणिकार्णिका घाट ले जाया गया। इस दौरान बजरंगी के समर्थन में लोग नारे लगा रहे थे।
इससे पूर्व माफिया डाल मुन्ना बजरंगी का शव उसकी पत्नी सीमा सिंह व परिजनों को सोमवार की देर शाम अंत्यपरीक्षण के बाद सौंप दिया गया था। मंगलवार की सुबह करीब सवा सात बजे बजरंगी का शव उसके पैतृक गृह जौनपुर के सुरेरी थानांतर्गत पूरे दयाल कसेरू लाया गया। परिजनों में आक्रोश दिखाई पड़ा। गांव का माहौल गमगीन रहा। उसके गृहगांव में सुरक्षा की दृष्टि से पीएसी के अलावा आधा दर्जन से ज्यादा थानों की पुलिस तैनात की गई थी। सुरक्षा घेरे में परिजन शव को अंत्येष्टि के लिए लेकर 9.30 बजे वाराणसी रवाना हो गए।
मुन्ना बजरंगी की कल बागपत जिला जेल में हत्या कर दी गई थी। उसका शव कल रात बागपत से वाहनों के काफिला के साथ लखनऊ के रास्ते पैतृक गांव जौनपुर लाया गया। आज वहां पर हजारों लोगों ने मुन्ना बजरंगी का अंतिम दर्शन किया। इसके बाद वाहनों के काफिला के बीच शव यात्रा जौनपुर से वाराणसी पहुंची। वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर सुरक्षा काफी कड़ी की गई थी।