वर्टिकल गार्डेन बनाएं और ताजी सब्जी उगाएं, भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान ने बनाया प्लान
अगर आप ताजी सब्जियां खाना चाहते हैं तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। आप छत या दीवार पर भी सब्जी उगा सकते हैं।
वाराणसी, जेएनएन। अगर आप ताजी सब्जियां खाना चाहते हैं तो परेशान होने की जरूरत नहीं है। आप छत या दीवार पर भी सब्जी उगा सकते हैं, जिसके लिए बहुत ज्यादा जगह की भी जरूरत नहीं पड़ेगी। बस आपको वर्टिकल गार्डेन पद्धति को अपनाना होगा। भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान ने तो बाकायदा पूरे बनारस के छतों का क्षेत्रफल भी निकाल लिया है। जो करीब 69 किमी है। यानी 69 किलोमीटर एरिया में सब्जियां उगाई जा सकती हैं। इसको लेकर लोगों में काफी उत्साह भी है।
भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान में हरी सब्जियां लेट्यूस (पत्तेदार सलाद), ब्रोकोली (हरे रंग के गोभी के आकार का), चौराई, धनिया, कंद, मध्यम आकार की फूल गोभी, टमाटर, बैगन, मिर्च आदि का प्रयोग भी सफल रहा है। इन सब्जियों की वर्टिकल गार्डेन में भी बेहतर उपज हो रही है। शहरों में इसका क्रेज भी बढ़ा है। सुरक्षित है वर्टिकल गार्डेन की सब्जियां घर में सब्जियां उगाने के लिए आपको अपने घर की छत या बालकनी में थोड़ी सी जगह या दीवार की आवश्यकता है। संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डा. हरे कृष्ण ने बताया कि वर्टिकल गार्डेन के माध्यम से उत्पादित सब्जी सुरक्षित भी है। अगर व्यापक पैमाने पर इसकी खेती की जाएं तो इसका अच्छा बाजार भी है। - उपयोग में आ सकते हैं इमारतों के खंभे भी आइआइवीआर के निदेशक डा. जगदीश सिंह ने बताया कि शहर में करीब 69 वर्ग किमी क्षेत्र छतों के रूप में उपलब्ध है, जो वर्टिकल गार्डेन के लिए उपयुक्त है। इसके अलावा इमारतों के खंभों को भी लतादार सब्जियों को चढ़ाने के लिए उपयोग किया जा सकता है। पुष्प अपशिष्ट से भी बन सकती है खाद संस्थान के ही प्रधान वैज्ञानिक डा. अनंत बहादुर ने बताया कि शहर में हर दिन 642 टन से ज्यादा कचरा पैदा होता हैं, जिसमें बॉयोडिग्रेडेबल कचरे की मात्रा 51 प्रशित है। साथ ही मंदिरों से हर दिन तीन टन फूलों का कचरा उत्पन्न होत है, जो नदी प्रदूषक का 16 प्रतिशत है। ऐसे में पुष्प अपशिष्ट से वर्टिकल गार्डेन के लिए खाद तैयार की जा सकती है। इससे रोजगार भी सृजन होगा।