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Varanasi में पटाखे प्रतिबंधित हुए हैं दुश्‍वारियां नहीं, स्माग में बरतें यह सावधानियां और करें उपाय

स्मॉग दो शब्दों अर्थात धुएं (स्मोक) और कोहरे (फाग) से मिलकर बना है। यह एक पीला या काला कोहरा होता है जो वायु प्रदूषण के एक मिश्रण से बना है जिसमें मुख्य रूप से नाइट्रोजन आक्साइड सल्फर आक्साइड और कुछ अन्य कार्बनिक यौगिक होते हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Wed, 11 Nov 2020 06:30 AM (IST)Updated: Wed, 11 Nov 2020 09:29 AM (IST)
Varanasi में पटाखे प्रतिबंधित हुए हैं दुश्‍वारियां नहीं, स्माग में बरतें यह सावधानियां और करें उपाय
सुबह के समय स्मॉग का असर ज्यादा होता है और बच्चों के स्वास्थ्य पर इसका बहुत बुरा असर पड़ता है।

वाराणसी, जेएनएन। स्माग शब्द आजकल बहुत ही प्रचलित हो रहा है जो कि बड़े शहर के लोगों में आतंक और भय का पर्याय बनता जा रहा है। स्मॉग दो शब्दों अर्थात धुएं (स्मोक) और कोहरे (फाग) से मिलकर बना है। यह एक पीला या काला कोहरा होता है जो वायु प्रदूषण के एक मिश्रण से बना है, जिसमें मुख्य रूप से नाइट्रोजन आक्साइड, सल्फर आक्साइड और कुछ अन्य कार्बनिक यौगिक होते हैं। स्मॉग न केवल मनुष्य के लिए बल्कि यह पौधों, जानवरों और पूरी प्रकृति के लिए हानिकारक है। इसकी चपेट में आने पर यह विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं को पैदा कर सकता है। दीवाली और इसके आसपास लगभग पूरे देश में इसकी चर्चा जोरों पर रहती है और इस बार फिर नई दिल्ली, वाराणसी सहित कई शहरों में स्मॉग का कहर एक बार फिर से छाया हुआ है। जबकि प्रदेश सरकार ने वाराणसी में पटाखे तक इस दिवाली प्रतिबंधित कर दिए हैं, ऐसे में सभी अपनी सेहत को लेकर टेंशन में हैं।

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ऐसे मौसम में स्थानीय प्रशासन द्वारा अलर्ट जारी किया जाता है और बच्चों के स्कूल बन्द कर दिए जाते है क्योंकि सुबह के समय स्मॉग का असर ज्यादा होता है और बच्चों के स्वास्थ्य पर इसका बहुत बुरा असर पड़ता है। वहीं कोरोना वायरस के खतरों की वजह से भी यह स्थिति बच्‍चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है। ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए इस बारे में जागरण से चर्चा कर रहे हैं चौकाघाट स्थित राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय , वाराणसी के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के डॉ. अजय कुमार।

क्या है स्माग के खतरनाक प्रभाव

इस बदलते मौसम में दमे के रोगियों की समस्या बढ़ जाती है जिसमें सांस का रास्ता फूल जाता है और सांस मार्ग सिकुड़ जाता है। इससे सांस की तकलीफ बढ़ जाती है। ऐसे में वायु प्रदूषण, धूल, सिगरेट का धुआं, आदि नुकसानदेह साबित होते हैं। इनके अलावा...

- अस्थमा के लक्षण बढ़ने लगते हैं और अस्थमा अटैक भी हो सकते हैं।

- हृदय संबंधित रोग की संभावना बढ़ जाती है।

- छाती में जलन, खांसी, की समस्या हो जाती है।

- कैंसर में मुख्य रूप से  गले का कैंसर के मरीज बढ़ने लगते हैं

- श्वांस की समस्या, श्वास लेने में दर्द,

- आंखों में जलन जैसे कई रोगों में वृद्धि ।

एक्यूआइ क्या है

एक्यूआइ का अर्थ है एयर क्वालिटी इंडेक्स। इस इंडेक्स के आधार पर वायु की गुणवत्ता मापी जाती है। एक्यूआइ रिपोर्ट के अनुसार हवा के स्तर को जीरो से 300 के बीच रखा जाता है। 150 से ऊपर स्तर किसी के लिए भी अस्वस्थ माना जाता है।

स्माग से कैसे करें बचाव

1. जहां तक संभव हो घर के अंदर ही एक्सरसाइज या योग करें, बाहर वर्कआउट करने से बचें।

2. सुबह सैर पर जाने से बचें और अगर जाना भी हो तो थोड़ी देर से निकलें और खाली पेट सैर पर न जाएं।

3. घर के आसपास धूल जमा हो तो पानी का छिड़काव करें।

4. सुबह टहलने के दौरान मास्क का प्रयोग अवश्य करें या चेहरे पर रुमाल या कोई साफ कपड़ा बांध सकते हैं ताकि प्रदूषण के कण शरीर के अंदर न जाएं।

5. ऑफिस या घर के अंदर एयर प्योरीफाई करने वाले पौधे लगाएं जैसे- तुलसी आदि।

6. प्रदूषित हवा से आंखों में जलन हो सकती है इसलिए बाहर से घर लौटते ही आंखों को ठंडे पानी से धोएं।

7. खानपान में सुधार करें, हेल्दी डायट का सेवन करें और खूब सारा पानी पिएं।

8. सांस के मरीज, अस्थमा के मरीज और छोटे बच्चों को घर से बाहर न निकलने दें।

9. बच्चों को स्कूल के अंदर ही रखें और आउटडोर ऐक्टिविटीज को पूरी तरह से बंद कर दें।

10. जहां तक संभव हो घर के अंदर ही रहें। अपने घर के बाहर की गतिविधियों को कम से कम करें यानी कि बहार कम जाएं।

11. स्मागी दिनों पर अपनी गतिविधियां सामान्य रखें, यानि दौड़ना या साइकिल चलाना, टहलना आदि कम करें जिससे सांस की समस्याओं से राहत मिलेगी।

12. गैस चालित इंजन, कीटनाशकों, और तेल आधारित पेंट का उपयोग करने से बचें।

13. धूम्रपान मुक्त, वातानुकूलित वातावरण में घर के अंदर व्यायाम करें।

ऐसे मौसम में क्या न करें

1. अपने घर के आसपास सोसाइटी में  न तो कूड़ा जलाएं और न किसी और को जलाने दें।

2. जहां तक संभव हो सुबह के वक्त स्मॉग और धुंध वाली जगहों पर जाने से बचें।

3. बुजुर्ग, छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं सुबह के वक्त अनावश्यक रूप से घर से बाहर न निकलें या धूल भले स्थान पर जाने से बचें।

4. निर्माणाधीन स्थलों पर निर्माण संबंधी चीजें रेत, सीमेंट, बालू आदि को खुला न छोड़ें।

5. सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान न करें और ना ही करने दें।

कौन से मास्क का प्रयोग करें

N95 वायु मास्क स्मॉग और धूल भरे मौसम के लिए सबसे बेहतर होता है।  N95 रेटिंग वाले मुखौटे हानिकारक PM2.5 अंश के 95 प्रतिशत तक फ‍िल्टर कर सकते हैं। जबकि कोरोना वायरस से बचाव में भी मददगार हैं।


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