कोविड-19 ने रोक लिए वाराणसी आने वाले विदेशी छात्रों के कदम, इस सत्र में महज पांच ने लिया दाखिला
कोरोना महामारी के चलते संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में विदेशी छात्रों का आगमन काफी कम हुआ है। इस सत्र में महज पांच विदेशी छात्रों ने संस्कृत प्रमाणपत्रीय कोर्स में दाखिला लिया है। विदेशी छात्रों की वापसी न होने के कारण परिसर स्थित अंतर्राष्ट्रीय छात्रावास का ताला छह माह से बंद है।
वाराणसी, जेएनएन। कोरोना महामारी के चलते संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में विदेशी छात्रों का आगमन काफी कम हुआ है। इस सत्र में अब तक महज पांच विदेशी छात्रों ने संस्कृत प्रमाणपत्रीय कोर्स में दाखिला लिया है। वह भी नेपाल व भूटान के हैं, जबकि सत्र 2019-20 में करीब 85 विदेशी विद्यार्थी शास्त्री-आचार्य, संस्कृत प्रमाणपत्रीय सहित विभिन्न पाठ्यक्रमों में पंजीकृत थे। पंजीकृत ज्यादातर विदेशी छात्र भी अगली कक्षा में अब तक दाखिला नहीं हैं। इसमें सर्वाधिक म्यांमार के 35 छात्रों की वापसी अब तक नहीं हुई है। विदेशी छात्रों की वापसी न होने के कारण परिसर स्थित अंतर्राष्ट्रीय छात्रावास का ताला छह माह से बंद है।
लॉकडाउन के दौरान विदेशी छात्र अपने-अपने देश लौट गए। म्यांमार के छात्रों को विदेश विमान द्वारा भेजा गया है। इसमें से एक भी छात्र अब तक नहीं आए हैं। ऐसे में एक साल बर्बाद होना तय माना जा रहा है। यही नहीं कोरोना महामारी के चलते नए विदेशी छात्र दाखिला लेने भी नहीं आ रहे हैं। संस्कृत विद्या विभाग के अध्यापक डा. रवि शंकर पांडेय ने बताया कि जुलाई माह में स्पेन व कनाडा की एक-एक छात्रा ने दाखिला के लिए प्रार्थना पत्र भी दी थी लेकिन कोरोना महामारी के चलते अब तक वह काशी नहीं आ सकी।
2019-20 में पंजीकृत विदेशी छात्रों का विवरण
52 म्यांमार
01 स्पेन
02 भूटान
01 थाईलैंड
01 इटली
28 नेपाल
घर गए अब तक एक भी विदेशी छात्र विश्वविद्यालय नहीं लौटे
77 विदेशी विद्यार्थियों को अंतरराष्ट्रीय छात्रावास आवंटित किया था। इसमें 41 म्यांमार, तीन भूटान, 26 नेपाल व सात सीमांत प्रदेशीय छात्र शामिल है। घर गए अब तक एक भी विदेशी छात्र विश्वविद्यालय नहीं लौटे हैं।
-प्रो. रमेश प्रसाद, वार्डेन
करीब 36 विदेशी छात्र आवेदन भी नहीं कर सके
पंजीकृत विदेशी छात्रों में कई ने अगली कक्षा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण करा लिया है। हालांकि वह अध्ययन करने नहीं आ रहे हैं। करीब 36 विदेशी छात्र आवेदन भी नहीं कर सके हैं। वापस आने पर विचार किया जा सकता है।
-प्रो. राम पूजन पांडेय, छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष