धान की बालियों से सजा मां अन्नपूर्णा मंदिर का दरबार, सत्रह दिवसीय महाव्रत का हुआ उद्यापन
अन्न की देवी कहे जाने वाली मां अन्नपूर्णा का आज सत्रह दिवसीय महाव्रत का समापन हुआ है ।
वाराणसी, जेएनएन। अन्न की देवी कहे जाने वाली मां अन्नपूर्णा का आज सत्रह दिवसीय महाव्रत का समापन हुआ है । 17 दिन 17 घाट 17 धागे का यह कठिन व्रत सभी लोग करते है इस व्रत में एक बार ही फलहार रूप में ग्रहण करते है। 17 नवम्बर से महाव्रत प्रारम्भ था जो कि आज समाप्त हुआ। मंदिर परिसर में भक्तों का व्रत उद्यापन को लेकर तांता लगा हुआ था। इस मौके पर किसी ने 51 फेरी लगाई तो किसी ने 501 फेरी लगा कर अपने-अपने मन्नतों को पूर्ण किया।
पूरे मंदिर परिसर को धान की बालियों से सजाया गया था अपराह्न भोग आरती के समय उप महन्त शंकर पुरी ने धान की बालियों से मां का भव्य श्रृंगार किया जिसकी एक झलक पाने के लिये भक्तों घण्टों कतार में लगे हुये थे। महंत रामेश्वरपुरी ने कहा कि इस महाव्रत के करने से किसी भी प्रकार का कष्ट, दुख तकलीफ दूर हो जाती है सभी की मन्नते पूरी होती है। मां के दरबार मे बाबा भोलेनाथ स्वयं मां से अन्न का भिक्षा मांगे थे और धान की परम्परा आदि काल से चली आ रही है। पूर्वांचल के किसान अपनी पहली फसल की बाली मां को अर्पित करते है।
धान की बाली को दूसरे दिन महन्त के हाथों भक्तों को प्रसाद रूप में वितरित किया जाता है।