बीएचयू में शोध और अनुसंधान पर नहीं खर्च कर पाए धन को बैंक में करेगा जमा
शोध संग अनुसंधान पर खर्च की जाने वाली राशि अब तक व्यय नहीं हो सकी है उसे ब्याज दर पर बैंक में जमा करेगा। नोटिफिकेशन जारी कर कहा है कि भविष्य में जो धन विकास कार्यों में खर्च नहीं हो पाएगा उसे अब निजी व सरकारी बैंक में जमा करेगा।
वाराणसी, जेएनएन। बीएचयू में अध्ययन-अध्यापन और शोध संग अनुसंधान पर खर्च की जाने वाली राशि जो अब तक व्यय नहीं हो सकी है, उसे ब्याज दर पर बैंक में जमा करेगा। बीएचयू ने एक नोटिफिकेशन जारी कर कहा है कि भविष्य में जो धन विकास कार्यों में खर्च नहीं हो पाएगा उसे अब निजी व सरकारी बैंक में जमा करेगा। इसके तहत बीएचयू ने दो करोड़ से लेकर 25 करोड़ के ऊपर तक की धनराशि के लिए ब्याज वसूलने के लिए अलग-अलग स्लैब तैयार किया है।
कुलसचिव कार्यालय (वित्त) विभाग द्वारा जारी नोटिफिकेशन के अनुसार काशी हिंदू विश्वविद्यालय अपने अतिरिक्त धन जो निकट भविष्य में खर्च नहीं होना है, उसे अलग-अलग दिनों के लिए विनियोजित करना चाहता है। जैसे 15-30 दिन, 31-45 दिन, 46-60 दिन, 61-90 दिन, 91-120 दिन, 121-180 दिन, 181-270 दिन, 271-364 दिन, 01 वर्ष, 02 वर्ष, 3 वर्ष, 3-5 वर्ष तथा उससे अधिक। अब बड़ा सवाल यह है कि बीएचयू क्यों भविष्य में धन को खर्च नहीं कर पाएगा।
सरकार यह धन तो बीएचयू में विकास कार्यों के बढ़ावा के लिए देती है, फिर उसे बैंक में जमा करने का क्या हक है। हालांकि यह कहना अभी संभव नहीं है कि यह धनराशि जो बैंक में जमा होनी है वह बीएचयू की आय है या सरकार द्वारा इंस्टीट्यूट आफ एमिनेंस के तहत राशि मिली है। सवाल यह है कि रिसर्च और टेक्नोलाजी के लिए बीएचयू में जो भी योजनाएं बनी हैं, कहीं अधर में तो नहीं लटक जाएंगी।