अगर वायरस वैक्सीनेशन के बाद रूप बदलेगा, तो क्या हमें अपने टीकों को अपडेट करना पड़ सकता है!
बीते वर्ष हमने कोविड-19 से बचाव के कड़े अनुदेशों को अपनी आदतों में शुमार किया और इस महामारी से मजबूती से लड़ना सीखा। यही सीख अब इस साल हमारे लिए मेंटल इम्युनिटी की तरह संक्रमण से सुरक्षित रखने का काम करेगी।
वाराणसी, जेएनएन। जिस जीवनचर्या और खानपान में लापरवाही की शिकायत आमतौर पर रहती थी, वह गत वर्ष एक महामारी के खौफ के कारण काफी हद तक दुरुस्त हो गई। इस लापरवाही से संबंधित कई अन्य बीमारियों से भी छुटकारा मिलने लगा और जिस मास्क को यदा-कदा ही इस्तेमाल में लाया जाता था, जीवनशैली का हिस्सा बन गया। यही नहीं, पूरे वर्ष जड़ी-बूटियों से लेकर एलोपैथिक दवाइयों तक में इम्युनिटी बूस्टर (शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला) तत्वों की खोज की गई। हम सफल भी हुए और अब चाहकर भी घर के बाहर असमय आहार लेने से बच रहे हैं। हालांकि लोगों के मन में एक बड़ी दुविधा आन पड़ी है कि इन विधाओं से जो इम्युनिटी हमने अब तक र्अिजत कर ली है, क्या वह वायरस के सबसे घातक नए स्ट्रेन पर प्रभावी होगी।
यहां हमें यह समझना होगा कि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि वायरस जिस चाल से म्यूटेट (उत्परिवर्तित) हो रहा है, उसी अनुपात में हमें अपनी प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ानी पड़ेगी। बस करना यह है कि अब तक हमारे शरीर की जो इम्युनिटी बन चुकी है, उसे बनाए रखें। हां, यदि इम्युनिटी कम हुई तो समझ लीजिए नया स्ट्रेन पहले से ज्यादा हमलावर हो सकता है। आज जब हम 2020 को पीछे छोड़ चुके है, तो यह पूछना स्वाभाविक है कि 2021 में इस महामारी का स्वरूप क्या होगा। लंदन से निकले नए स्ट्रेन ने न सिर्फ पूरी दुनिया में डर व्याप्त है, वरन कई भ्रांतियां भी फैल गई हैं। काफी लोग तो नए स्वरूप वाले कोरोना वायरस के आगे अपनी इम्युनिटी ही नहीं, बल्कि वैक्सीन को भी निरर्थक मान बैठे हैं। यह सही नहीं है।
दरअसल, हालीवुड की फिल्मों में हमने म्यूटेशन का हमेशा उल्टा स्वरूप देखा है, जिसमें लैब में जन्मा कोई जानवर या वायरस पूरी मानवता के लिए खतरा बन जाता है। हकीकत में म्यूटेशन तो जीव-जंतुओं के सतत विकास का एक सामान्य नियम है, क्योंकि इसके बिना जीवन का उद्भव या क्रमिक विकास ही नहीं हो सकता। म्यूटेशन के बगैर धरती पर कोई भी जीव नहीं पनप सकता, यहां तक कि इंसान भी नहीं। वायरस के नए स्ट्रेन में एक बात समझने वाली यह है कि म्यूटेशन सामान्य से थोड़ा ज्यादा है। आरएनए वायरस के स्पाइक प्रोटीन में दो म्यूटेशन ( एन 501 और एच 69/वी70डी) हुआ है, वहीं अब तक कुल 17 म्यूटेशन हो चुके हैं। यह स्पाइक प्रोटीन मानव कोशिकाओं को हाईजैक करने का काम करता है, जिससे संक्रमण दर बढ़ी है, हालांकि प्रयोगशाला में इसे अभी और समझना होगा।
फाइजर, मॉडर्ना और ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन वायरस के सभी स्पाइक को खत्म करने के लिए हमारे शरीर में जरूरी प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने में पर्याप्त सक्षम है। वैक्सीन की डोज के बाद मानव शरीर भी प्राकृतिक तौर पर स्पाइक के कई हिस्सों पर हमला करना सीख जाता है। यही कारण है कि वैक्सीन इस स्ट्रेन के खिलाफ भी काम करेगी। हालांकि अब जल्द ही बड़े पैमाने पर होने वाला टीकाकरण वायरस पर एक अलग तरह का दबाव डालेगा। दरअसल, वायरस को अपना संक्रमण बढ़ाने के लिए अब उन लोगों पर हमला करना होगा, जो वैक्सीन लगवा चुके होंगे। इसके लिए वह भविष्य में म्यूटेट होकर और भी खतरनाक हो सकता है।
यदि कोविड-19 वायरस वैक्सीनेशन के बाद अपना क्रमिक विकास या स्वरूप बदलेगा, तब ही हमें अपने टीकों को अपडेट करना पड़ सकता है, जैसा कि अभी तक फ्लू वायरस के लिए हम करते आए हैं। इससे अब एक बात तो तय है कि अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता पर रखते हुए हमें कोरोना वायरस के साथ ही जीना पड़ेगा।
[प्रो ज्ञानेश्वर चौबे जीन विज्ञानी, जंतु विज्ञान विभाग, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी]