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Coronavirus Infection : ठंड में मानव और पर्यावरण की प्रतिरक्षा प्रणाली पर होगा दोहरा प्रहार

कोरोना के दौर में बाहर से आने के बाद स्नान और कपड़े धुलने पड़ते हैं कड़ाके की ठंड में यह दिन में कितनी बार संभव है। ऐसे में कोरोना से बचना है तो जाड़़े की बीमारियों यानी कि सर्दी खांसी जुकाम निमोनिया और बुखार के लिए तैयार रहना होगा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 02 Oct 2020 10:06 PM (IST)Updated: Fri, 02 Oct 2020 10:06 PM (IST)
Coronavirus Infection : ठंड में मानव और पर्यावरण की प्रतिरक्षा प्रणाली पर होगा दोहरा प्रहार
ठंड में यदि कोरोना के साथ कोई भी श्वसन रोग हो गया तो प्रतिरोधक क्षमता पर यह दोहरी मार पड़ेगी।

वाराणसी, जेएनएन। कोरोना के दौर में बाहर से आने के बाद स्नान और कपड़े धुलने पड़ते हैं, कड़ाके की ठंड में यह दिन में कितनी बार संभव है। ऐसे में कोरोना से बचना है तो जाड़़े की बीमारियों यानी कि सर्दी, खांसी, जुकाम, निमोनिया और बुखार के लिए तैयार रहना होगा। वहीं वायु प्रदूषण की बात करें तो इस साल जनवरी की ठंड में प्रदूषण का एक्यूआइ  (एयर क्वालिटी इंडेक्स) स्तर 240 था जो लॉकडाउन के बाद जून में 63, जुलाई में 44, अगस्त में 54 और सितंबर में 104 पर आ गया। आंकड़े बताते हैं कि अगस्त के बाद सितंबर में वायु प्रदूषण का स्तर दोगुनी गति से बढ़ा है। ऐसे में वायरोलॉजिस्ट और पर्यावरणविदों का कहना है कि महामारी, और बढ़ते वायु प्रदूषण से मानव संग पर्यावरण की भी प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) पर दोहरा प्रहार होगा। 

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आइएमएस बीएचयू स्थित मालीक्यूलर बायोलाजी के वायरोलाजिस्ट प्रो. सुनीत कुमार सिंह का कहना है कि अभी तक हमने अपनी प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाने के तमाम प्रयास किए, मगर उसका असली परीक्षण तो अब जाड़े के मौसम में होगा। ठंड में व्यक्ति को यदि कोरोना के साथ कोई भी श्वसन रोग या निमोनिया हो गया तो मरीज की प्रतिरोधक क्षमता पर यह दोहरी मार पड़ेगी। ऐसे में उसे काल के गाल से बचाने के लिए वैक्सीन या फिर कोई कारगर दवा की जरूरत पड़ेगी। वहीं मौसम व पर्यावरण विज्ञानी प्रो. मनोज श्रीवास्तव का कहना है कि बनारस का वर्तमान एयर क्वालिटी इंडेक्स 140 है जो कि औसत से तीन गुना ज्यादा है। वहीं ठंड आते ही यह वायुमंडल में प्रदूषण का विस्तार तेजी से जमीन की ओर होगा। इसके पीछे कारण यह है कि वायुमंडल वर्तमान जैसा खुला नहीं होगा। कोहरे और घने बादलों के कारण ये प्रदूषक तत्व जमीन से एक-डेढ़ किमी ऊंचाई तक ही छाए रहेंगे जिससे लोगों की बीमारियों में इजाफा होगा। ठंड व वायु प्रदूषण के कारण एलर्जी, हृदय, श्वसन व पाचन संबंधी  बीमारियों का मामला बढ़ेगा। इससे कोरोना को एक बढ़त मिल सकती है।

बढ़ेगा घरेलू संक्रमण

आइएमएस बीएचयू के टीबी एवं श्वसन विभाग के अध्यक्ष प्रो. जीएन श्रीवास्तव का कहना है कि ठंड में कमरे का वेंटिलेशन बेहद कम हो जाता है, इससे कोरोना के घरेलू संक्रमण का खतरा काफी बढ़ जाएगा। वहीं मौसमी रोग में श्वसन के मरीज बढ़ जाते हैं, इनमें आइएलडी और सीओपीडी से ग्रस्त लोग उच्च जोखिम में आएंगे। पर्यावरणविद प्रो. कविता शाह के अनुसार घरेलू संक्रमण न बढ़े, इसके लिए सैनिटाइजर स्प्रे और एयर प्यूरीफायर से कमरे की हवा को विसंक्रमित करते रहे। इसके अलावा पुन: काढ़ा, गर्म पदार्थों व दूध-हल्दी का सेवन बढ़ाना होगा। हॉट स्पॉट व कोरोना संवेदनशील इलाकों में एयर मानीटङ्क्षरग की जरूरत पड़ेगी जिससे वायरस अपना विकराल स्वरूप न ले सके।

जरा-सी लापरवाही कोरोना को देगा मौका

चिकित्सकों की सलाह के अनुसार वायु प्रदूषण जिस तरह से बढ़ रहा है उससे आने वाले दिनों में अस्थमा, दमा और फेफड़े की बीमारियों से ग्रसित सीरियस रोगी, कोरोना से बचाव में यदि लापरवाही की गई तो स्थिति नाजुक हो सकती है। उन्हें कोरोना से निबटने के लिए तमाम कोविड मानकों के साथ अपनी दवाएं आदि भी नियम से चलाना होगा। वहीं दमा के रोगी एस्ट्रॉयड बराबर लेते रहें और अस्थमा के रोगी अपनी दवाओं को लेना बंद न करें, क्योंकि जरा सी लापरवाही कोरोना को अवसर दे सकती है।


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