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वाराणसी में 'भरत मिलाप' का आयोजन, हर-हर महादेव और जय श्री राम के नारों से गूंजी काशी

मंगलवार को भरत मिलाप की तैयारी सुबह से ही शुरू हुई तो काशी राज परिवार के अनंत नारायण सिंह आयोजन स्‍थल पहुंचे तो हर हर महादेव और जय श्री राम के नारे से आयोजन स्‍थल गुंजायमान हो गया।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 04:29 PM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 05:37 PM (IST)
वाराणसी में 'भरत मिलाप' का आयोजन, हर-हर महादेव और जय श्री राम के नारों से गूंजी काशी
काशी राज परिवार के अनंत नारायण सिंह पहुंचे तो जय श्री राम के नारे से आयोजन स्‍थल गुंजायमान हो गया।

वाराणसी, जेएनएन। काशी के चर्चित लक्‍खा मेला 'भरत मिलाप' के आयोजन में कोरोना वायरस का साया छाए रहने कम लोगों की मौजूदगी में ही परंपराओं का निर्वहन किया जा रहा है। मंगलवार को भरत मिलाप की तैयारी सुबह से ही शुरू हुई तो काशी राज परिवार के अनंत नारायण सिंह आयोजन स्‍थल पहुंचे तो हर हर महादेव और जय श्री राम के नारे से आयोजन स्‍थल गुंजायमान हो गया।

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ठीक 4.40 बजे भरत मिलाप हुआ तो नेमिजनों की आंखें गीली हो उठीं आैर जनता भावों में डूबकर हर हर महादेव के साथ जय श्री राम के नारे लगाने लगी। चारोa भाइयों के मिलाप का नयनाभिराम दृश्य देखने के लिए जिन लोगों को पास मिला था केवल वही लोग देख सके। अयोध्या भवन के अगल बगल के छतों पर आसपास के लोगों की भीड़ भी खूब उमड़ी थी।

विश्व विख्यात नाटी इमली के भरत मिलाप में काशिराज परिवार के अनंत नारायण सिंह पहुंचे उन्होंने सबसे पहले चित्रकूट स्थल पर भगवान श्री राम, लक्ष्मण और माता सीता का दर्शन किया। उसके बाद उन्होंने अपना स्थान ग्रहण किया। इसके बाद हनुमान जी चित्रकूट से अयोध्या के लिए प्रस्थान किए। वहां जाकर वह भरत जी को संदेश देते हैं कि भगवान राम चित्रकूट और अयोध्या की सीमा पर आ गए हैं। यह सुनते ही भरत जी, हनुमान जी के साथ चित्रकूट और अयोध्या की सीमा पर आने की तैयारी शुरू कर देते हैं।

 

मऊ के अमिला में भरत मिलाप हुआ संपन्न

अमिला कस्बा में श्री ठाकुर द्वारा रामलीला समिति के तत्वाधान में देर रात सोमवार  को नंदीग्राम में भरथ मिलाप संम्पन्न हुआ। अमिला मध्य चौक स्थित नंदीग्राम में भरत व शत्रुघ्न राम के याद में पूरी तरह भावविह्वल होकर इंतजार करते हैं। जब राम के सेवक के रूप में हनुमान भरत के पास पहुंच कर जयश्रीराम का उद्घोष करते हैं तो भरत अचंभित होकर देखते हैं। इसके बाद हनुमान अपना परिचय बताते हैं। परिचय जानते ही व्‍याकुल हो उठे राम से मिलने के लिए हनुमान साथ लेकर जाते हैं और राम और भरत का एक दूसरे से गले भावविभोर होकर मिलना देख लोगों के आखों से आंसू छलक पड़ते हैं। चारों भइयों के एक दूसरे से मिलते ही जय श्री राम के उद्घोष से पूरा चौक काफी देर तक गुंजायमान होता रहा। लोग पूरी श्रद्धा से दर्शन पूजन किए और इसके बाद प्रसाद वितरण कर आयोजन समाप्त हुआ।


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