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कोरोना संक्रमण ने प्राकृतिक आक्सीजन पर लगाया ब्रेक, वाराणसी में दो दशक में 70 हजार पेड़ों की हुई कटाई

वाराणसी में दो दशक में विकास के नाम पर 70 हजार से अधिक पेड़ों की कटाई की गई इनमें कई विशाल पेड़ तक थे। उसके सापेक्ष सभी विभागों को पौधारोपण का लक्ष्य 20 गुना से अधिक दिया गया लेकिन वे पौधे लग नहीं सके।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sun, 16 May 2021 04:09 PM (IST)Updated: Sun, 16 May 2021 04:09 PM (IST)
कोरोना संक्रमण ने प्राकृतिक आक्सीजन पर लगाया ब्रेक, वाराणसी में दो दशक में 70 हजार पेड़ों की हुई कटाई
वाराणसी में दो दशक में विकास के नाम पर 70 हजार से अधिक पेड़ों की कटाई की गई

वाराणसी, जेएनएन। कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने किसी को छाेड़ा नहीं। अस्पतालों में आक्सीजन की कमी के चलते कई लोगों की जान तक चली गई। वैश्विक महामारी में जीवनदायनी यानि पौधारोपण नहीं होता दिखाई पड़ रहा है। कोरोना संक्रमण के चलते अभी तक जनपद में गड्ढों की खोदाई तक पूरी नहीं हो पाई, एेेसे में पौधारोपण होना दूरी की बात है। वन विभाग को गड्ढों की खोदाई करने के लिए मजदूर तक नहीं मिल रहे हैं। अगले माह बारिश की संभावना को देखते हुए वन कर्मियाें को पौधारोपण के लिए गड्ढे खोदाई करने का निर्देश दिया गया है। वनकर्मी गड्ढा खोदाई करने वाले कई मेठों से संपर्क करने पर तैयार नहीं हो रहे हैं। कोरोना संक्रमण ने प्राकृतिक आक्सीजन पर ब्रेक लगा दिया है।

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जनपद की हरियाली लौटाने के लिए शासन ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में कुल 17 लाख 80 हजार 655 पौधारोपण का लक्ष्य दिया है। शासन ने जनवरी माह में विभागवार लक्ष्य निर्धारित करने के साथ पौधारोपण को गंभीरता से लेते हुए तेजी लाने का निर्देश दिया था। इसमें वन विभाग को पांच लाख 56 हजार पौधारोपण का लक्ष्य है। वन विभाग को फरवरी माह के अंत तक गड्ढों की खोदाई करने के साथ मार्च तक उसमें गोबर की खाद डालना था लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते तैयारी अधूरी रह गई। दो दशक में विकास के नाम पर 70 हजार से अधिक पेड़ों की कटाई की गई, इनमें कई विशाल पेड़ तक थे। उसके सापेक्ष सभी विभागों को पौधारोपण का लक्ष्य 20 गुना से अधिक दिया गया लेकिन वे पौधे लग नहीं सके।

सच्चाई यह है कि बमुश्किल 20 फीसद पौधे जिंदा होंगे। यही कारण है कि काेराेना संक्रमण में हम आक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं। इस वित्तीय वर्ष में पौधारोपण होता दिखाई नहीं पड़ रहा है। यदि पौधारोपण होता भी है तो वह जिंदा रह पाएगा या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं है। इस बात को लेकर वन विभाग के अधिकारी खुद चिंतित है। उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि शासन से दिया गया निर्धारित लक्ष्य कैसे पूरा किया जाएं। दूसरे विभाग तो पौधारोपण लेकर भूल गए हैं। उन्हें याद है या नहीं काेई नहीं जानता है। इस बारे में प्रभागीय वनाधिकारी महावीर का कहना है कि कोरोना कॉल में पौधारोपण चुनौती जरूर है लेकिन किसी तरह भी किया जाएगा। मनुष्य के लिए आक्सीजन की पूर्ति के लिए पौधारोपण बहुत जरूरी है।


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