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Corona Infection in Varanasi : महामृत्युंजय जप यज्ञ ने संभाला पुरोहितों का डगमगाता योगक्षेम, आरोग्य लाभ प्राप्त करने की कामना

काशी के सिद्ध शैव पीठ मध्यमेश्वर तीर्थ स्थित महामृत्युंजय मंदिर में अन्य आचार्यों के प्रतिदिन बीस-बीस घंटों का मंत्र जाप यज्ञ सम्पन्न करा रहे हैं। कोरोना महामारी के चलते एक माह से महामृत्युंजय जाप के दर्जनों संकल्पों के अनुष्ठान साधने में व्यस्त नजर आ रहे हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 28 Apr 2021 09:10 AM (IST)Updated: Wed, 28 Apr 2021 09:10 AM (IST)
Corona Infection in Varanasi : महामृत्युंजय जप यज्ञ ने संभाला पुरोहितों का डगमगाता योगक्षेम, आरोग्य लाभ प्राप्त करने की कामना
काशी के सिद्ध शैव पीठ मध्यमेश्वर तीर्थ स्थित महामृत्युंजय मंदिर

वाराणसी [कुमार अजय]कठोर! निर्मम किंतु सत्य यही है कि महामारी कोरोना के चलते पूरे साल आजीविका के लिए कलट कर रह गए काशी के कर्मकांडी आचार्यों व पुरोहितों के लिए अंततः यह विपदा ही अपने चरम काल में योगक्षेम का अवसर बनकर आयी है। सृष्टि में 'हरि इच्छा ही बलीयसी' है। मानव की सारी चेस्टाएं परवश हैं प्रकृति ने यह बात निष्ठुरता से ही सही एक बार फिर मनुष्य को समझायी है। यह कहना है काशी के ख्यात कर्मकांडी आचार्य मुकुंद उपाध्याय का जो कोरोना महामारी के चलते और विप्रों के साथ हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने के बाद बीते लगभग एक माह से महामृत्युंजय जाप के दर्जनों संकल्पों के अनुष्ठान साधने में व्यस्त नजर आ रहे हैं।

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ॐ त्रयम्बकं यजा महे, सुगंधिम पुष्टिवर्धनम, पूर्वा रुक्मिव बंधनात मृत्योर्मोक्षिय मामृतां

काशी के सिद्ध शैव पीठ मध्यमेश्वर तीर्थ स्थित महामृत्युंजय मंदिर में अन्य आचार्यों के प्रतिदिन बीस-बीस घंटों का मंत्र जाप यज्ञ सम्पन्न करा रहे हैं। बीते संवत्सर से लेकर अब तक के आपद काल का आकलन करें तो महामारी की मार पीठ से पेट तक अगर किसी ने झेली तो वह विप्र समाज ही रहा है। क्या सहालग (वैवाहिक लग्न), क्या सावनी रूद्राभिषेक, क्या नवरात्रिक अनुष्ठान और क्या दिव्य कार्तिक मास महोत्सव सब मांगलिक आयोजन एक-एक कर महामारी की भेंट चढ़ते गए। यजमानों के सीधा-पानी (अन्न दान) का सहारा न होता तो नौबत फाकाकशी की थी। हे... विधाता कोरोना के इस कठिन काल से उबारने के लिए कुछ करो-ना, कुछ करो-ना की गुहार लगाते कंठ झुरा गए। विधि की विडंबना देखें अवसर मिला भी तो मांगलिक आयोजनों के शुभ संपादन की जगह वेंटीलेटर पर टूटती सांसों की गिनती गिन रहे मरणासन्न मरीजों की जीवन रक्षा के लिए महामृत्युंजय के दरबार में विनय की अर्जी लगाने का। मन्त्रों में सबसे अमोघ मंत्र माने जाने वाले' ॐ त्रयम्बकं यजा महे, सुगंधिम पुष्टिवर्धनम, पूर्वा रुक्मिव बंधनात मृत्योर्मोक्षिय मामृतां' की कतार पुकार से देवाधिदेव के चरणों में सिर झुकने का।

पांच लाख से पच्चीस लाख तक के मंत्र जाप का संकल्प उठा रहे

आचार्य मुकुंद के अनुसार देश के विभिन्न हिस्सों के अलावा दुबई, कतर, यूएसए, यूके तथा ब्राजील जैसे देशों में महामारी के चलते एक-एक सांस के लिए जूझ रहे अपने बंधु-बांधवों के मंगल कल्याण के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग प्रतिदिन अपनी क्षमता के अनुसार पांच लाख से पच्चीस लाख तक के मंत्र जाप का संकल्प उठा रहे हैं। रजनीकांत पांडेय, गोपालजी, शंकरलाल हों या श्रीराम तिवारी अपनों की सलामती के लिए भोले बाबा से कुशल क्षेम मना रहे हैं। आचार्य मुकुंद कहते है कि इस वैश्विक आपदा की विभीषिका को देखते हुए काशी के विप्र समाज में अनुष्ठान की दक्षिणा को मोल-तोल से परे रखा है। निवेदन लेकर आने वाले हर श्रद्धालु के संकल्प को स्वीकारने की प्रतिबद्धता से सभी आचार्यों ने स्वयं को आबद्ध कर रखा है।

आचार्य मुकुंद के अलावा पं अजय उपाध्याय, पं अभिनव उपाध्याय, पं जय पांडेय, आचार्य सुमित द्विवेदी, आचार्य शिवचरण, पं गोविंद गोकर्ण आदि आचार्यों का कहना है कि अपने पौरोहित्य धर्म का निर्वहन करते हुए हमारी बस एक कामना परम दयालु महामृत्युंजयेश्वर हमारी प्रार्थना को स्वीकारें। सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयाः का आशीष सभी पर वारें।

जाप श्रृंखला

आचार्य मुकुंद के अनुसार पच्चीस लाख मंत्र का आवर्तन यदि एक ही दिन में करना हो तो पच्चीस से तीस आचार्य इस एक दिवसीय यज्ञ को संपादित करते हैं। इसी जाप को पांच दिन में पूर्णता देने की दशा में पांच आचार्य प्रतिदिन इस अमोघ मन्त्र का आवर्तन करते हैं।


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