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संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में दीक्षा समारोह का आयोजन, राज्‍यपाल ने दिए मेडल

संस्कृत विवि में शुक्रवार सुबह 36 वें दीक्षा का आयोजन हुआ जिसकी राज्‍यपाल राम नाईक ने अध्‍यक्षता की, एक दिन पूर्व गुरुवार को समारोह का पूर्वाभ्यास हुआ।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Fri, 02 Nov 2018 11:25 AM (IST)Updated: Fri, 02 Nov 2018 02:33 PM (IST)
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में दीक्षा समारोह का आयोजन, राज्‍यपाल ने दिए मेडल
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में दीक्षा समारोह का आयोजन, राज्‍यपाल ने दिए मेडल

वाराणसी (जेएनएन) । उत्तर प्रदेश में भी अब बेटियां हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं और पढ़ रही हैं। यह कहना है राज्यपाल रामनाईक का। वे संपूर्णानंद संस्कृति विश्वविद्यालय के 36वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि भाषण दे रहे थे। उन्होंने कहा कि भले ही आप लोक दीक्षांत में शामिल हुए हैं, लेकिन शिक्षा का अंत नहीं हुआ है। आज से दूसरे पड़ाव की ओर बढ़ेंगे और नई जिम्मेदारी होगी।

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राज्यपाल ने बताया कि प्रदेश में 28 विश्वविद्यालय हैं, जिसमें दो अभी नए हैं। इसमें दो 23 में दीक्षांत समारोह आयोजित हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि इस साल 15.16 लाख विद्यार्थियों को उपाधि दी गई हैं, जिसमें 7.98 लाख छात्राएं शामिल हैं। यानी प्रदेश में इस साल 51 प्रतिशत छात्राओं ने उपाधि पाकर एक नया रिकार्ड बनाया है। हालांकि संपूर्णांनद में 35 विद्यार्थियों ने मेडल पाया है, जिसमें मात्र 5 ही छात्राएं हैं। राज्यपाल ने बताया कि पिछले दिनों आगरा स्थित डा. भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी व गोरखपुर स्थित पं. दीन दयाल यूनिवर्सिटी में क्रमश: 82 व 81 प्रतिशत छात्राओं ने उपाधि पाई है। 

बदल गया गाउन का प्रचलन

राज्यपाल ने कहा कि प्रदेश में दीक्षांत को लेकर गाउन का प्रचलन अब खत्म हो चुका है। पूरी तरह भारतीय पारंपरिक परिधान में समारोह आयोजित किया जा रहा है। राज्यपाल ने विद्यार्थियों को शपथ की याद दिलाई। कहा कि अगर इच्छाशक्ति हो तो उच्च शिखर भी पहुंचा सकता है।  राज्यपाल ने कहा कि जीवन में तीन मां होती हैं, जिन्हें कभी नहीं भूलना चाहिए। पहले माता-पिता व गुरुजन, दूसरी मातृभूमि और तीसरी मां मातृ भाषा होती है। 

खिले मेडलिस्ट के चेहरे

मेडल पाने वाले छात्र-छात्राओं के चेहरे भी सोने की तरह चमक रहे थे। लगभग सभी की आगे की रणनीति एक जैसे थे। कहा कि वे आगे शिक्षक बनकर संस्कृत का प्रचार-प्रसार करना चाहते हैं। आठ मेडल पाने वाले नेपाल निवासी लेखनाथ पौड्याल ने  कहा कि वह शिक्षक बनकर नेपाल में संस्कृत को और आगे बढ़ाएंगे। कहा कि काशी साधन भूमि हैं। मध्य प्रदेश के रहने वाले राहुल शुक्ला, मोतिहारी के अभिषेक कुमार दुबे, रोहनिया के रामरेश तिवारी, पुरी के रुद्रनारायण दास, पांडेयपुर की विनीता शुक्ला, सिगरा की नेहा चौबे का भी कुछ ऐसा ही कहना था। कहा कि मेडल पाना बहुत ही गर्व की बात हैं। 

इनको मिला मेडल 

लेखनाथ पौड्याल, राहुल शुक्ल, अभिषेक कुमार दुबे, रामेरश तिवारी, रुद्रनारायण दास, जोशी किशन, राधावल्लभ दास, विनीता शुक्ला, श्रीराम सिंह, अमित कुमार, दिलीप कुमार उपाध्याय, योगेश कुमार तिवारी, मनीष कुमार द्विवेदी, राघव दास, रंजीत कुमार तिवारी, शारदा अधिकारी, निरंजन देव पांडेय, नागराज एम, हिमांशु शेखर मिश्र, डेनी कपूर, उमेश कुमार मिश्र, विक्रांत तिवारी, नेहा चौबे, शैलजा, राजन चौबे, अक्षोभ्य अच्युत, भाग्यश्री, राज किशोर मिवारी, रितेश कुमार मिश्र, अंकित प्रकाश सिंह, विपिन कुमार सिंह, माधव शर्मा, विजय जंगम, रोहित सिंह, आरजू मौर्या।  


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