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शब्द का आसू में रुपांतरण ही कथा का सार

वाराणसी : मणिकर्णिकाघाट के सामने गंगापार सतुआबाबा गोशाला में कथा मानस मसान के अंतिम दिन

By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Oct 2017 02:49 AM (IST)Updated: Mon, 30 Oct 2017 02:49 AM (IST)
शब्द का आसू में रुपांतरण ही कथा का सार
शब्द का आसू में रुपांतरण ही कथा का सार

वाराणसी : मणिकर्णिकाघाट के सामने गंगापार सतुआबाबा गोशाला में कथा मानस मसान के अंतिम दिन रविवार को राष्ट्र संत मोरारी बापू ने अरण्य कांड, किष्किंधा कांड, सुंदरकांड, लंका कांड व उत्तरकांड का निचोड़ प्रस्तुत किया। कहा बाल कांड का सार सुख प्राप्ति, अयोध्या कांड का सार प्रेम, अरण्य कांड का सार सत्संग और लंका कांड का सार विजय, विवेक और विभूति है। रामचरित मानस का एक-एक शब्द परम विशेषता रखता है और शब्द का आसू में रूपांतरण ही कथा का सार है।

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उन्होंने कहा जब तक गंगा-यमुना और सरस्वती की धारा धरा पर बहती रहेंगी तब तक रामकथा की धारा भी बहती रहेगी। रामकथा अनंत है। इसे निर्मल विचार से सुनो व सुनने केबाद चुनो। शाश्वत सिर्फ धर्म है। प्रलय के बाद पूर्ण और शून्य ही बचेगा। आकाश व हरिनाम पूर्ण और शून्य भी है। अपने आश्रित को जो चैतन्य करे वही महापुरुष है। मोरारी बापू ने सत्य, करुणा व प्रेम को कलियुग में साधना का सूत्र बताया। कहा राम का सुमिरन-गायन व राम के गुण गाना चाहिए।

सात वस्तुओं की गाठ बाध लो

बापू ने कहा कि कहा दूसरों को दुखी किए बिना सुखी होना हमारा अधिकार है। किस्मत से मिले सुख में दुख भी होगा लेकिन प्रसाद में मिले सुख के साथ दुख नहीं होगा। सुख बीज है और उसका व‌र्द्धन प्रेम के आसू से होना चाहिए, उसे बाटना चाहिए। दहशत से कुछ भी नहीं मिलता, मेहनत से कुछ-कुछ और रहमत से सब कुछ मिलता है। प्रेम हमारी जरूरत है और सत्य किसी भी रूप में कहीं भी मिले ले लेना चाहिए। सत्संग को संकीर्ण नहीं बल्कि विश्वरुपेण बनाना चाहिए। धर्म हमेशा मुस्कुराना चाहिए। एक दूसरे को आदर के साथ सुनो। झुकोगे तो सामने वाला भी झुकेगा। हारे को कोई हरा नहीं सकता और ईश्वर विवेक से ही मिलता है।

श्मशान को साधो

शाश्वत केवल धर्म है और बाकी सब नश्वर है। श्मशान की विस्तार से व्याख्या करते हुए बापू ने कहा कि शम का मतलब शाति और शान का अर्थ ईज्जत है। श्मशान वह स्थान है जहां ईज्जत के साथ आनंद शांति के साथ सोना श्मशान है। श्मशान साधना करने, समझने व चिंतन करने का विषय है। महामूर्ख, विमूढ़, अतिदरिद्र, अत्यंत बदनाम, सदा रोग ग्रस्त, सदा क्रोधी, वैष्णवी का विरोध करने वाला, वेद का विरोध करने वाला, संत का विरोध करने वाला, दूसरों की निंदा करने वाला कुछ कुछ मरा समान है।

व्यासपीठ की उतारी आरती

संतकृपा सनातन संस्थान की ओर से आयोजित रामकथा के समापन पर सतुआ बाबा संतोष दास महाराज, मुख्य यजमान मदन पालीवाल, ट्रस्टी प्रकाश पुरोहित, रवींद्र जोशी, रुपेश व्यास, विकास पुरोहित, मंत्रराज पालीवाल आदि ने व्यासपीठ की आरती उतारी। -----------


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