उपभोक्ता की नहीं है कोई गलती तो बैंक देगा क्षतिपूर्ति, एक लाख में से 60 हजार रुपये कराए वापस
अमूमन ऑनलाइन लेन देन के अलावा एटीएम प्रयोग करने वाले उपभोक्ताओं को दुश्वारियों से दो चार होना ही पड़ता है।
मऊ, जेएनएन। अमूमन ऑनलाइन लेन देन के अलावा एटीएम प्रयोग करने वाले उपभोक्ताओं को दुश्वारियों से दो चार होना ही पड़ता है। मगर ऐसे में अगर बैंक उपभोक्ता की बिना गलती के उसके खाते से पैसे निकल गए तो इसमें उपभोक्ता कतई जिम्मेदार नहीं होगा। इसमें बैंक को क्षतिपूॢत करनी पड़ेगी। इसमें रिजर्व बैंक के ग्राहक संरक्षण अनाधिकृत इलेक्ट्रानिक बैकिंग लेनदेन में ग्राहकों की देयता नीतियों के अनुसार कोड-ओटीपी व अन्य किसी भी प्रकार की खाता संबंधित गोपनीय जानकारी खाता धारक द्वारा किसी से साझा नहीं किया गया, ना बैंक की ओर से कमी हुई हो बल्कि प्रणाली में कहीं कमी हो और आपके खाते से धनराशि निकल गई तो ग्राहक अनाधिकृत लेनदेन के संबंध में तीन दिन के अंदर बैंक को सूचित कर देता है तो ग्राहक की देयता शून्य होगी। ऐसे में बैंक को जिम्मेदारी लेते हुए क्षतिपूॢत देनी होगी।
सरायलखंसी थाना क्षेत्र के डुमरांव निवासी मीना देवी पत्नी रामाश्रय द्वारा बताया गया कि बीते 21 जनवरी को वादी के खाते से पैसे एटीएम द्वारा निकले जा रहे थे। पीडि़ता द्वारा पुलिस अधीक्षक को 30 जनवरी को प्रार्थना पत्र दिया गया। इसके बाद पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर साइबर सेल के आरक्षी शैलेंद्र कुमार कन्नौजिया व अंकुर यादव की टीम द्वारा जांच करते हुए यह पाया गया कि आवेदिका के बचत खाते से एटीएम कार्ड का क्लोन करके रुपये निकाले गए थे। इसमें उपभोक्ता की कहीं भी गलती उजागर नहीं हुई। इसमें साइबर सेल द्वारा कार्यवाही करते हुए संबंधित बैंक को पत्राचार किया गया। इससे पीडि़ता के बचत खाते में 60 हजार रुपये वापस कराए गए। अपने रुपये वापस पाकर पीडि़ता ने पुलिस का आभार जताया है।
बोले अधिकारी : बैंक के एटीएम व क्यूआर कोड को किसी से साझा न करें। बिना उपभोक्ता की गलती से अगर किसी के खाते से धनराशि निकल जाती है तो इसमें उपभोक्ता की कोई गलती नहीं मानी जाएगी, बैंक क्षतिपूॢत करेगा। ऐसे में उपभोक्ता तत्काल तुरंत सूचना दें। साइबर सेल तत्काल कार्रवाई करेगा। -अनुराग आर्य, पुलिस अधीक्षक मऊ।