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श्रीकाशी विश्‍वनाथ मंदिर में सप्तऋषि आरती रोकने के विरोध में कांग्रेसजनों ने घरों में जलाए दीप

सप्तऋषि आरती रोककर काशी के आस्था व अस्मिता पर हुए आघात के विरोध में शुक्रवार को कांग्रेसजनों ने छतों पर दीपक जलाकर विरोध दर्ज कराया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sat, 09 May 2020 10:00 AM (IST)Updated: Sat, 09 May 2020 11:12 AM (IST)
श्रीकाशी विश्‍वनाथ मंदिर में सप्तऋषि आरती रोकने के विरोध में कांग्रेसजनों ने घरों में जलाए दीप
श्रीकाशी विश्‍वनाथ मंदिर में सप्तऋषि आरती रोकने के विरोध में कांग्रेसजनों ने घरों में जलाए दीप

वाराणसी, जेएनएन। सप्तऋषि आरती रोककर काशी के आस्था व अस्मिता पर हुए आघात के विरोध में शुक्रवार को कांग्रेसजनों ने छतों पर दीपक जलाकर विरोध दर्ज कराया। वहीं, महादेव की प्रार्थना करने के साथ ही दो मिनट का मौन रखकर रेल पटरी पर माल गाड़ी से मृत हुए श्रमिकों को श्रद्धाजंलि दी।

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री अजय राय के आह्वान पर शाम 6.30 बजे अपने घरों की छतों, मंदिरों में दीपक जलाए गए। हर हर महादेव का उदघोष किया गया। अजय राय ने कहा कि 300 वर्षों से परंपरागत तरीके से सप्तऋषि आरती कर रहे अर्चकों को मंदिर में जाने से रोकने का मतलब सनातनी परंपरा को खंडित करना है। विरोध में महानगर अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे, जिलाध्यक्ष राजेश्वर पटेल, पूर्व जिलाध्यक्ष प्रजानाथ शर्मा, पूर्व उपाध्यक्ष छावनी परिषद शैलेंद्र सिंह, ओमप्रकाश ओझा, मनीष मोरोलिया, सुनील कपूर, सीताराम केशरी, जितेंद्र सेठ आदि शामिल होकर अपने घरों पर दीप जलाए।

राजघरानों के अर्चकों ने मंदिर प्रशासन ने मांगी माफी

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में राजघरानों की ओर से कराए जाने वाले सप्तर्षि आरती के नौ अर्चकों ने मंदिर प्रशासन से माफी मांगते हुए आरती की अनुमति मांगी है। मंदिर प्रशासन ने अभी इन अर्चकों के बारे में चुप्पी साध रखी है। अर्चकों ने गुरुवार को छत्ताद्वार पर हुई घटना को भूलवश बताया है। आरती में सिंधिया, जामनगर, राजस्थान, मुंशी माधव स्टेट, जूना अखाड़ा शनि मंदिर, ग्वालियर और नागौर स्टेट की ओर से नामित अर्चक शामिल होते है। माफी मांगने वालों में राजीव प्रकाश मिश्र, लक्ष्मीकांत भट्ट, संतोष दुबे, दयानंद दुबे और रामानंद दुबे आदि हैं।

सोशल मीडिया में भी रही चर्चा

पूर्व महंत परिवार की ओर से गुरुवार को छत्ताद्वार पर की गई सप्तर्षि आरती शुक्रवार को सोशल मीडिया में भी चर्चा में रही। लोगों ने खूब शेयर और लाइक किया। एक फेसबुक यूजर ने इस मामले पर मंदिर प्रशासन को दोषी ठहराते हुए इसे परंपरा के साथ खिलवाड़ बताया है।


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