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लोकसभा चुनाव 2019 - गरीबी हटाओ नारे में कितना दम, विरोधी कस रहे तंज

एकबार फिर गरीबी हटाओ नारा चर्चा में है। कांग्रेस के घोषणा पत्र में दर्ज गरीबी हटाओ संकल्प को लेकर विरोधी दल जहां तंज कस रहे हैं वहीं आम जनता भी इसे लेकर उहापोह में है।

By Vandana SinghEdited By: Published: Fri, 12 Apr 2019 07:08 PM (IST)Updated: Sat, 13 Apr 2019 08:46 AM (IST)
लोकसभा चुनाव 2019 - गरीबी हटाओ नारे में कितना दम, विरोधी कस रहे तंज
लोकसभा चुनाव 2019 - गरीबी हटाओ नारे में कितना दम, विरोधी कस रहे तंज

वाराणसी,[रत्नाकर दीक्षित]। एकबार फिर गरीबी हटाओ नारा चर्चा में है। कांग्रेस के घोषणा पत्र में दर्ज गरीबी हटाओ संकल्प को लेकर विरोधी दल जहां तंज कस रहे हैं, वहीं आम जनता भी इसे लेकर उहापोह में है। बावजूद इसके कांग्रेस कार्यकर्ता इस नारे को लेकर काफी आशान्वित हैं। उन्हें विश्वास है कि गरीबी हटाओ नारे के दम पर पार्टी को मजबूत जनाधार मिलेगा। फिलहाल जनता भी यही जानना चाह रही है कि इस नारे में कितना दम है। घोषणा पत्र में 72 हजार रुपये देने व राष्ट्रद्रोह जैसे कानून को हटाने की भी बात कही गई है। इसके अलावा अफस्पा जैसे कानून में नरमी लाने की भी बात है।

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दरअसल जब से कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में गरीबी हटाने का नारे दिया तभी से पार्टी विरोधियों के निशाने पर आ गया। आज से करीब तीन-चार दशक पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा ने भी गरीबी हटाओ का नारा देकर दोबारा सत्ता हासिल की थी। विडंबना यह कि सत्ता परिवर्तित होती रही लेकिन, गरीबी पर कोई फर्क नहीं पड़ा। मतलब साफ है गरीबी आज भी जस की तस मौजूद है। कुछ इसी मुद्दे पर पांडेयपुर स्थित मेंटल हास्पिटल के पास की बस्ती में लंबी चर्चा हुई।

बुजुर्ग रामहरख कहते हैं कि कांग्रेस शुरू से गरीबी हटाने की बात करती आई है, लेकिन नेता मालामाल हो गए और हम गरीब आज भी गरीब ही हैं। इंदिरा गांधी ने भी यही नारा दिया था, क्या हुआ, कुछ नहीं। सब चोचलेबाजी है। उनकी हां में हां मिलाते हुए पांचू भी बोल उठे अरे साहब, केवल चुनाव के समय ही लोग गरीबों को याद करते हैं। बाकी समय तो नेता अपने में ही मगन रहते हैं। लेकिन, दुखरन इन दोनों लोगों से जुदा ख्याल रखते हैं। कहते हैं कि अंग्रेजों के जाने के बाद देश में जो कुछ भी हुआ वह भी तो आखिर कांग्रेस की ही देन है। चर्चा को गति उस समय मिल गई जब अचानक प्राइमरी स्कूल में अध्यापक नन्हंकू मास्टर आ गए। दुखरन की बातों को सुन पहले मुस्कुराए फिर बड़े ही आराम से बोले कि देश में विकास को देखिए और समय की भी गणना कर लीजिए। क्या कांग्रेस ने इतने साल में जो कुछ किया है वह संतोषजनक है। क्या बात करते हैं। कांग्रेस की इसी लोकलुभावन नारों ने तो देश को काफी पीछे धकेल दिया। अभी तक सभी की बातों को सुन रही हाईस्कूल पास कुसुम से नहीं रहा गया। मुद्दे को गरमाने के बजाय कहा कि कोई बताएगा ई जो 72 हजार की धनराशि देने की घोषणा हुई है वह मिलेगी कब। कोई कुछ कहता उससे पहले ही वह खुद बोलीं, अरे जब कांग्रेस की सरकार बनेगी तब न। चलो भई उस दिन का भी इंतजार कर लेते हैं।

मीरा देवी, किरन देवी, उषा देवी, चम्पा देवी, रन्नो, सावित्री, राधा का कहना है कि सरकार तमाम योजनाएं संचालित तो करती है लेकिन, उसका लाभ आम नागरिकों को नहीं मिल पाता। बतौर नजीर बस्ती को ही ले लीजिए, आयुष्मान कार्ड, राशन कोर्ड कुछ तो यहां नहीं बना है। बस्ती में गंदगी आप लोग देख ही रहे हैं। बावजूद इसके वहां हो रही चर्चा में विनोद, गोविंद व बेचूलाल के अपने-अपने तर्क थे। इनका कहना था कि चाहे जो हो राष्ट्रद्रोह हटाने जैसा विचार आखिर कांग्रेस पार्टी के नेताओं में आया कैसे। यही बात गले के नीचे नहीं उतर रही है। पुराने कांग्रेसी जुम्मन भी कूद गए, बोले कि भाजपा ने जो 15 लाख रुपये प्रति व्यक्ति को देने को कहा था, किसी को मिला क्या। यदि किसी को मिला हो तो बताएं। जुम्मन की बात काट गोविंद बोले, किसने वादा किया था। भाजपा के घोषणा पत्र में तो कहीं नहीं लिखा था। बस भाजपा विरोधी ऐसे ही हवा में बातें बनाते रहते हैं।

फिलहाल कोई निष्कर्ष निकले बगैर वहां से लोग चलने को हुए तो दो दलों के कार्यकर्ता आमने-सामने आ गए। जिंदाबाद-जिंदाबाद के शोर में कोई किसी बात नहीं सुन पा रहा था और इसी के बहाने चर्चा समाप्त हो गई।


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