कामगारों की राह में कंफर्म रेल टिकट का रोड़ा, सितंबर के अंतिम सप्ताह तक है लंबी वेटिंग
महानगरों में फैक्ट्री और कंपनी खुलने के बाद अब श्रमिकोंं को काम पर लौटने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
वाराणसी, जेएनएन। महानगरों में फैक्ट्री और कंपनी खुलने के बाद अब श्रमिकोंं को काम पर लौटने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ट्रेन में कंफर्म सीट हासिल करने की चाह में आरक्षण केंद्र और रेलवे परिसर में ही यात्रियों की सुबह और शाम कट रही है। आलम ये है कि मुंबई, गुजरात और नई दिल्ली रूट की ट्रेनोंं में सितंबर के अंतिम सप्ताह तक बर्थ मिलने की गुंजाइश नहीं बची। लॉकडाउन में नियमित ट्रेनों का संचालन बंद होने से अफरा-तफरी का माहौल है। सीमित गाडिय़ों के कारण यात्रियों को नियंत्रित करने में रेलवे प्रशासन के पसीने छूट रहे हैं। फिलहाल सितंबर माह तक ट्रेनों की संख्या बढ़ाने की उम्मीद नहीं दिख रही है।
जनरल बोगी में भी जगह नहीं
कैंट स्टेशन से चलकर मुंबई जाने वाली महानगरी स्पेशल और कामायनी स्पेशल ट्रेन की जनरल बोगियों में भी जगह नहीं बची। 30 अगस्त तक सभी सीट रिग्रेट हो चुके है। इसके अलावा गुजरात की ट्रेन ताप्तीगंगा स्पेशल व साबरमती स्पेशल में स्लीपर श्रेणी के बर्थ की सबसे ज्यादा मांग है। जनरल बोगियों में 100 नंबर वेटिंग के बाद टिकट जारी नहीं हो रहे। मुंबई की ट्रेनों में 29 अगस्त तक वेटिंग का आंकड़ा 312 तक पार कर चुका है। दिल्ली जाने वाली शिवगंगा और महामना स्पेशल ट्रेन में सितंबर के पहले सप्ताह तक दबाव कम होने की उम्मीद है।
टूट रही तत्काल की आस
जरूरतमंदों को तत्काल टिकट का साथ भी नहीं मिल रहा। दो से चार दिनों तक नंबर लगाने के बावजूद उन्हें कंफर्म टिकट पाने में कामयाबी नहीं मिल रही। तत्काल की अवधि में ज्यादातर लोगों को आरक्षण केंद्र से मायूस लौटना पड़ रहा है। पिछले दिनों मुंबई का टिकट न मिलने से नाराज लोगों ने कैंट स्टेशन पर हंगामा भी किया था। हालांकि स्टेशन निदेशक आनंद मोहन सिंह की मदद से वह मुंबई रवाना हुए। मुख्य आरक्षण पर्यवेक्षक मक्की सुहैल ने बताया कि ट्रेनें कम होने से ज्यादा दबाव है। फिलहाल सितंबर के अंतिम सप्ताह तक यह सिलसिला जारी रहेगा।