कृषि का व्यवसायीकरण करने से होगा विकास, खेती में पढ़े लिखे लोगों का आना आवश्यक : प्रो. पंजाब सिंह
प्रो. पंजाब सिंह ने कहा कि खेती ही भारत की पहचान है। अगर पूरे विश्व में भारत इतना महान है तो उसमें कृषि का ही योगदान है।
गाजीपुर, जेएनएन। फार्ड फाउंडेशन और शिवांश कृषि फाउंडेशन की ओर से जोगा मुसाहिब में रविवार को कृषि गोष्ठी हुई। संस्थान की ओर से किसानों की समस्याओं को सुना गया। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और फार्ड फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. पंजाब सिंह ने कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए कहा कि खेती ही भारत की पहचान है। अगर पूरे विश्व में भारत इतना महान है तो उसमें कृषि का ही योगदान है।
उन्होंने कहा कि किसान नहीं तो इंसान नहीं और जल नहीं तो कल नहीं। गाजीपुर में खेती काफी अच्छी होती है लेकिन किसानों को उसका उचित लाभ नहीं मिल पाता। उसका कारण है कि प्रबंध तंत्र में कहीं न कहीं दोष है। आज गेंहू, चावल और गन्ना में देश आत्मनिर्भर हो गया है। अब कृषि को अन्य क्षेत्रों में आगे बढ़ाना है। इसके लिए कृषि का व्यवसायीकरण करना होगा। कहा कि युवाओं और पढ़े लिखे लोगों को इस क्षेत्र में आना होगा। 50 किसानों में एक को व्यवसायी बनाना पड़ेगा तभी किसानों की पहुंच बाजारों तक होगी। उन्होंने कहा कि सब्जी की उत्पादकता 19 टन है, जिसे बढ़ाकर 34 टन किया जा सकता है। वहीं तिलहन और दलहन की उत्पादकता 17 टन से 30 टन के ऊपर किया जा सकता है। गोष्ठी में डा. नीरज, डा. उमेश सिंह, डा. राजेश सिंह, डा. शिवराज सिंह, डा. आरसी वर्मा, डा. एनपी सिंह, डा. जेपी ने भी किसानों को विभिन्न जानकारी दी। रामबचन राय, विनोद राय, मार्कण्डेय सिंह, दिवाकर राय, जितेंद्र राय, पंकज राय, शिवनारायण राय, कृष्णकांत राय, कृष्णकुमार, रामकुमार राय वमर, रवि पांडेय, निशिकांत मिश्रा आदि थे। संचालन भारतीय सब्जी अनुसंधान वाराणसी के डा. नीरज ने किया। आयोजक शिवांश कृषि फाउंडेशन के अध्यक्ष रामकुमार राय ने आभार ज्ञापित किया।
युवाओं को आधुनिक खेती के लिए प्रशिक्षित करेगा फार्ड फाउंडेशन
फार्ड फाउंडेशन का उद्देश्य माडल विलेज बनाने का है। जहां किसान उन्नत किस्म का बीज का उत्पादन कर सकें और उसे अन्य जगह मुहैया करवाया जा सके। इसके अतिरिक्त यह संस्थान कुछ युवाओं को प्रशिक्षित करेगा जिससे वे किसानों को कृषि की तकनीकी जानकारी प्रदान कर सके और किसानों को उचित मूल्य दिलवा सके। यह संस्थान कृषि के नए अवसरों को तलाश करेगा जैसे हरे मिर्च का पाउडर बनाना और विदेशों में निर्यात करना। इसके अतिरिक्त किसानों के हरे मिर्च और हरे मटर आदि का विदेशों में निर्यात करना है। इसके लिए संस्थान ने चार जिलों मीरजापुर सोनभद्र गाजीपुर और चंदौली को चुना है। इसके अतिरिक्त किसान अपनी समस्याओं को इस संस्थान तक पहुंचा सकते हैं।