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जौनपुर में सीओ को पता नहीं और सिपाही ने दस्तखत कर छोड़ दिया वाहन

जौनपुर में सीओ को पता नहीं चला और सिपाही ने खुद दस्तखत कर वाहन छोड़ दिया। एएसपी (सिटी) डा. संजय कुमार का कहना है कि मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 22 Jul 2020 04:18 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jul 2020 04:44 PM (IST)
जौनपुर में सीओ को पता नहीं और सिपाही ने दस्तखत कर छोड़ दिया वाहन
जौनपुर में सीओ को पता नहीं और सिपाही ने दस्तखत कर छोड़ दिया वाहन

जौनपुर, जेएनएन। कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव को सूबे की सरकार के सख्त दिशा-निर्देशों ने पुलिस महकमे को ऊपरी कमाई का एक और जरिया दे दिया है। खास तौर पर यातायात पुलिस दोनों हाथ से जेब भरने में जुट गई है। सूरत-ए-हाल यह है कि पुलिस उपाधीक्षक की गैरहाजिरी में सिपाही मनमानी सुविधा शुल्क लेकर पकड़े गए वाहन उनकी दस्तखत बनाकर छोड़ देते हैं। हैरत की बात तो यह है कि पकड़ी गई जिस बाइक को लेकर सीओ ने मुकदमा दर्ज कराने की बात कही, उससे पहले सिपाही उनकी जगह दस्तखत कर उसे छोड़ चुका था।

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सुविधा शुल्क के रूप में पांच हजार रुपये लेने का आरोप

सीओ यातायात राजेंद्र कुमार और उनके सहयोगियों ने 16 जुलाई को सिपाह में चेकिंग के दौरान पड़ोसी जिले आजमगढ़ के बरदह थाना क्षेत्र के बैरी बरौना गांव निवासी रमेश राजभर की बिना नंबर की बाइक पकड़ ली। इसके बाद सीओ काशी विश्वनाथ मंदिर ड्यूटी में वाराणसी चले गए। अगले दिन 17 जुलाई को वाहन स्वामी रमेश राजभर ने यातायात पुलिस के एक सिपाही से संपर्क किया तो आरोप है कि उसने सुविधा शुल्क के रूप में पांच हजार रुपये लेने के बाद 17 जुलाई को बाइक का कोविड-19 (द्वितीय संशोधन) विनियमावली के उल्लंघन में मॉस्क का प्रयोग न करने में चालान दिखाकर 200 रुपये के जुर्माना की रसीद काटकर सीओ की जगह खुद हस्ताक्षर कर शाम 7.30 बजे वाहन छोड़ दिया। इसकी जानकारी सीओ को देना भी उचित नहीं समझा।

एजेंसी के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कराकर कार्रवाई की जाएगी

उसी दिन रात में करीब नौ बजे सीओ से इस बाबत पूछा गया तो उनका कहना था कि एजेंसी संचालक ने रमेश को वाहन महीने भर पहले दे दिया था। विक्रय पत्र (सेल लेटर) 16 जुलाई को जारी किया है। यह गंभीर बात है। मान लीजिए, उसी वाहन से किसी गंभीर अपराध को अंजाम दे दिया जाता तो जिम्मेदार कौन होता। एजेंसी के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कराकर कार्रवाई की जाएगी। इससे साफ जाहिर है कि उन्हें पता ही नहीं था कि मातहत सिपाही वाहन को छोड़ चुका है। एएसपी (सिटी) डा. संजय कुमार ने कहा कि प्रकरण संज्ञान में लाया गया है। चालान की प्रति और सीओ ट्रैफिक से हुई वार्ता की वॉयस रिकार्डिंग भी उपलब्ध कराई गई है। मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।


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