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..काश ऐसे ही आते रहें माननीय तो व्यवस्था रहे दुरुस्त

सोनभद्र जिले में सीएम के आगमन से व्यवस्थाएं रहीं चुस्त दुरुस्त।

By JagranEdited By: Published: Sat, 07 Jul 2018 04:52 PM (IST)Updated: Sat, 07 Jul 2018 04:52 PM (IST)
..काश ऐसे ही आते रहें माननीय तो व्यवस्था रहे दुरुस्त
..काश ऐसे ही आते रहें माननीय तो व्यवस्था रहे दुरुस्त

सोनभद्र : शनिवार को प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ का जिला मुख्यालय पर लगभग साढ़े छह घंटे के कार्यक्रम में सभी विभागों की सूरत बदली-बदली नजर आयी। इसमें मुख्य रूप से जिला चिकित्सालय के बेडों, शौचालयों, फर्शों, नालियों, दीवारों, गेटों सहित तमाम चीजें ऐसी थीं जिन्हें देखकर मरीजों के तीमारदार दांतों तले अंगुलियां दबाने के लिए विवश हो गए। निकलती रही मन की व्यथा

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शनिवार का दिन लोगों के लिए कुछ खास रहा। लोकतंत्र में भी माननीयों की हैसियत यह है कि आने ही आहट मात्र से व्यवस्थाएं बदली-बदली सी नजर आने लगती हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो जिला अस्पताल के बाहर दुकानों पर बैठे तीमारदार बदली व्यवस्था पर अपनी व्यथा बयां नहीं करते। दर्द इस बात की थी कि काश, माननीय ऐसे ही आते रहें तो अस्पताल की गंदगी व अव्यवस्था हमेशा दूर रहती। आपातकालीन कक्ष में हरी-हरी सजीं चादरें आज अस्पताल की शोभा बढ़ा रही हैं। मनमोहने वाली सुगंध मरीजों का आधा दर्द बांटने वाली रहीं। तीमारदार अपने मरीज संबंधियों को दवा दिलाकर मुख्यमंत्री की एक झलक पाने के लिए बेसब्री से इंतजार करते नजर आए। चादर देख किया बैठने का मन

यहां चादरों की मारामारी रहती है। अगर व्यवस्थाएं माननीयों की आहट से तब्दील नहीं होती तो मरीजों व तीमारदारों के लिए यह आना-जाना कुछ खास नहीं होता। लेकिन साहब, यहां तो क्या शौचालय और क्या अधिकारियों के कक्ष सभी के सभी बराबर साफ नजर आए। यहां तक कि मेज-कुर्सियां ऐसी बदली नजर आयी कि रोज बैठने वाला भी भ्रम की स्थिति में आ जाए। सीएम के आने से पूर्व अस्पताल के भीतर-बाहर करने वाले वाले लगभग तीमारदारों की एक ही जुबान कि कितनी अच्छी व्यवस्था है आज। एक जगह मरीजों को बैठाया

वैसे तो आमदिनों में मरीजों को कहीं भी बैठने के लिए कोई रोक टोक नहीं है। लेकिन, शनिवार का दिन मरीजों व उनके तीमारदारों के लिए अलग था। अस्पताल के भीतर ओपीडी, आपातकालीन, महिला वार्ड या दूसरे कक्षों के आगे-पीछे बैठे सभी तीमारदारों को औषधालय वितरण हाल में बैठा दिया गया। दूसरी जगह अगर कहीं कोई मरीज बैठा भी रहा तो संयोग ऐसा बना कि मुख्यमंत्री से उनका आमना-सामना नहीं हुआ।


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