रिमोट बोट से परखेंगे गंगा की स्वच्छता व गहराई
वाराणसी : गंगा की सेहत जानने एवं सुधारने की पहल शुरू हो गई है।
वाराणसी : गंगा की सेहत जानने एवं सुधारने की पहल शुरू हो गई है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक ऐसी बोट तैयार कर रहे हैं जो गंगा की स्वच्छता एवं गहराई की जांच करेगी। संस्थान के डिजाइन इनोवेशन सेंटर की योजना के तहत यूएसवी (अनमैंड सर्फेस व्हीकल) तैयार किया जा रहा है। इसकी डिजाइन तैयार हो गई है। इसमें लगने वाले इलेक्ट्रानिक उपकरण भी लगभग 80 फीसद तैयार हो गए हैं। बोट का ढांचा कोलकाता में तैयार किया जा रहा है। इस ऑटो पायलट रिमोट बोट में आधुनिक सेंसर, जीपीएस एवं वाटर क्वालिटी पैरामीटर भी लगेंगे।
इस बोट को तैयार कर रहे हैं सिविल इंजीनिय¨रग विभाग, बीएचयू के डा. अनुराग ओहरी व डा. शिशिर गौड़। डा. गौड़ बताते हैं कि यह बोट पानी में भी रिमोट से चलेगी। इसमें लगे सेंसर कंप्यूटर से जुड़ें रहेंगे, जो पानी से डाटा लेकर सीधे कंप्यूटर में भेजेंगे। यह पानी के बहाव, गहराई, प्रदूषण, वाटर क्वालिटी पैरामीटर आदि की जानकारी लेंगे। साथ ही निर्धारित स्थान से सैंपल भी कलेक्ट करेंगे।
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विदेशों में भारी कीमत
डा. गौड़ का कहना है कि ऐसी नाव सिर्फ विदेशों में ही तैयार की जाती है। इसकी कीमत 30 से 50 लाख रुपये तक है। भारत में इसे बनाने पर इसकी कीमत भी कम होगी। शोध कार्य के लिए छोटे संस्थानों भी उपयोग कर सकेंगे। कार में ले जा सकेंगे बोट
उन्होंने बताया कि आइआइटी में बनाने वाली बोट इसी साल गंगा में उतार दी जाएगी। खास यह रहेगा कि दो किलोमीटर के बीच में चिह्नित वास्तविक स्थानों से सैंपल भी ले आएगी। इसकी लंबाई करीब डेढ़ मीटर और चौड़ाई आधा मीटर होगी। इसे कार में रखकर भी ले जाया जा सकेगा।