गायत्री प्रजापति को क्लीन चिट प्रकरण में थानेदार का गजब दुस्साहस, एसएसपी भी स्तब्ध
थाने के विवेचक और इंस्पेक्टर ने दुष्कर्म के आरोप में जेल की हवा खा रहे पूर्व मंत्री गायत्री को बचाने के लिए खेल कर डाला, आला अफसरों को भनक भी नहीं लगी।
वाराणसी, जेएनएन । दशाश्वमेध थाने के विवेचक और इंस्पेक्टर ने दुष्कर्म के आरोप में जेल की हवा खा रहे पूर्व मंत्री गायत्री को बचाने के लिए गुपचुप खेल कर डाला और आला अफसरों को भनक भी नहीं लगी। इस मुकदमे की जानकारी मुख्यमंत्री और डीजीपी तक को थी लेकिन पूर्व मंत्री को बचाने के लिए इंस्पेक्टर ने ऐसा गजब दुस्साहस दिखाया कि एसएसपी भी सन्न रह गए।
20 दिन भटकने के बाद लिखा गया था केस : फर्नीचर कारोबारी अरविंद तिवारी को धमकी भरा फोन नौ जून की सुबह आया था। उसी दिन अरविंद ने थाने में तहरीर दी पर उन्हें टरका दिया गया। फिर वह सीओ और एसपी सिटी तक दौड़े लेकिन किसी ने नहीं सुनी। आखिर में शासन तक पहुंचने पर एसएसपी आनंद कुलकर्णी के आदेश पर दशाश्वमेध थाने में गायत्री प्रसाद के खिलाफ एफआईआर लिखी गई।
चार साल बाद जेल से मांगा कमीशन : कारोबारी अरविंद तिवारी ने पुलिस को बताया कि उन्होंने 2014 में सोनभद्र में बालू खनन ठेके के लिए गायत्री प्रजापति से संपर्क किया था। कई साझेदारों से लाखों रुपये लगाए तब ठेका मिला लेकिन एक भी दिन खनन नहीं हो पाया और नई नीति में ठेका निरस्त हो गया था। जेल से गायत्री ने फोन कर 2014 में ठेका दिलाने के लिए कमीशन की मांग की। बताया कि एक भी घंटे खनन नहीं हुआ बल्कि घाटा हुआ है तो गायत्री ने फोन पर धमकी दी कि नतीजा जल्द सामने आएगा। अरविंद के मुताबिक ठेके में गायत्री ने अपने पीआरओ अशोक तिवारी के पुत्र अभिषेक को उनका साझेदार बना दिया था। जब सरकार बदली और गायत्री जेल गए तो अभिषेक ने दबाव डालकर फर्म से अपना नाम हटवा दिया था।
मोबाइल फेंक दिया था जेल मेंकूड़े पर : 30 जून को मुकदमा लिखने के बाद तत्कालीन विवेचक मनोज पांडेय ने तेजी दिखाते हुए गायत्री प्रसाद के खास करीबी मान सिंह रावत और बलात्कार में गायत्री के साथ जेल में बंद अशोक तिवारी के बेटे अभिषेक को गिरफ्तार कर लिया। जांच में उजागर हुआ कि तीन जुलाई को मान सिंह जेल में गायत्री से मिला था। उसी रोज मोबाइल तोड़कर जेल में कूड़े पर फेंक दिया गया था जबकि सिम तोड़कर मान सिंह ने अपने पास छोटी डायरी में रख लिया था। पुलिस ने डायरी में टूटा सिम बरामद किया है। सिम (नंबर 8737060179) मान सिंह की पत्नी के नाम था। जांच में यह भी पता चला कि उस नंबर से कई अन्य लोगों को जेल से फोन किए गए थे। उन लोगों ने भी विवेचक को बताया कि उन्हें जेल मेंं बंद गायत्री ने ही कॉल किए थे। मोबाइल की लोकेशन भी लखनऊ की गोसाइगंज जेल बता रही थी। इन सुबूतों के आधार पर पुलिस ने दो गिरफ्तारी की थी और पूर्व मंत्री को बी वारंट पर बनारस जेल लाने की प्रक्रिया भी शुरू की थी।
नए इंस्पेक्टर और विवेचक ने किया खेल : दो गिरफ्तारियों के महीने भर बाद ही दशाश्वमेध थाना प्रभारी और विवेचक बदल गए। नए थाना प्रभारी बालकृष्ण शुक्ला बने जबकि विवेचना मिली उपनिरीक्षक जयप्रकाश को।
29 अक्तूबर को मुकदमे के वादी अरविंद को यूपी पुलिस का एसएमएस आया जिसमें चार्जशीट तैयार होने की जानकारी दी गई। पता चला कि चार्जशीट में गायत्री का नाम नहीं है। यह हैरानी की बात है क्योंकि जिन सुबूतों के आधार पर पूर्व विवेचक ने दो गिरफ्तारियां की, नए विवेचक ने उन सुबूतों को नजरंदाज करते हुए गायत्री को क्लीन चिट दे दी। जबकि यह हाईप्रोफाइल मामला एसएसपी, आईजी, एडीजी से लेकर डीजीपी तक की जानकारी में था। मगर एसएसपी के संज्ञान में लाए बिना गायत्री का नाम ही मुकदमे से हटा दिया। एसएसपी ने जागरण से कहा कि पूर्व सीओ अभिनव यादव ने चार्जशीट वापस की लेकिन गंभीर प्रकरण के बारे में मुझे नहीं अवगत कराया। एसपी सिटी ने भी संज्ञान में नहीं लाया, इसलिए इन दोनों की भूमिका की जांच भी किसी आईपीएस अधिकारी से कराई जाएगी।
रिकार्डिंग नहीं, फर्जी फंसाया है गायत्री को : जागरण ने इस बाबत इंस्पेक्टर दशाश्वमेध बालकृष्ण शुक्ला से बात की तो उन्होंने कहा कि पूर्व मंत्री के खिलाफ कोई सुबूत नहीं है कि जेल से उसने फोन किए थे। पूर्व विवेचक ने गड़बड़ी की है। फोन कॉल की रिकार्डिंग नहीं है। इसलिए पूर्व मंत्री का नाम निकाला गया है, इंस्पेक्टर ने बातचीत में यह भी कहा कि प्रतापगढ़ और फैजाबाद में तैनाती के दौरान उनकी गायत्री प्रजापति से कई बार मुलाकात हुई थी।