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Pottery Of Chunar : कोरोना पर मिलने लगी विजय तो मूर्ति मंडी की वापस लौटी चमक

कोरोना संक्रमण पर धीरे-धीरे लोगों ने विजय पाना शुरू कर दिया तो चुनार के प्लास्टर आफ पेरिस मूर्ति मंडी की चमक ग्राहकों के साथ वापस लौटने लगी है। हालांकि इस बार कोरोना के चलते पीओपी मूर्तियों का उत्पादन 50 फीसद से कम हुआ है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 08:12 AM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 09:16 AM (IST)
Pottery Of Chunar : कोरोना पर मिलने लगी विजय तो मूर्ति मंडी की वापस लौटी चमक
मीरजापुर, चुनार स्थित बाजार से प्लास्टर आफ पेरिस की बनी मूर्तियों को देखते लोग।

मीरजापुर, जेएनएन। कोरोना संक्रमण पर धीरे-धीरे लोगों ने विजय पाना शुरू कर दिया तो चुनार के प्लास्टर आफ पेरिस मूर्ति मंडी की चमक ग्राहकों के साथ वापस लौटने लगी है। मार्केट में बाहरी व्यापारी आ रहे हैं और दीपावली पर पूजे जाने वाले विघ्नहर्ता और धन की देवी मां लक्ष्मी की मूर्तियों को ले जा रहे हैं। शारदीय नवरात्र के साथ त्योहारी मौसम शुरू होने से चुनार की मूर्ति मंडी ग्राहकों से गुलजार होने लगी है।

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हालांकि इस बार कोरोना के चलते पीओपी मूर्तियों का उत्पादन 50 फीसद से कम हुआ है। अगस्त महीने तक बाजार से ग्राहक नदारद रहने से मूर्ति व्यावसायियों व उत्पादकों में काफी निराशा थी, लेकिन ज्यों ज्यों दीपोत्सव का पर्व नजदीक आ रहा है। मार्केट भी ग्राहकों से गुलजार होने लगा है। इस बार सबसे अभी तक ट्रेनों के सुचारू आवागमन शुरू न होने के कारण बिहार और मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के व्यापारियों की आमद पिछले वर्षों की अपेक्षा कम है। इस बार पूर्वांचल समेत सीमा से लगे हुए बिहार प्रदेश के व्यापारी अपने माल वाहन से माल लेकर जा रहे हैं।

गैर जनपदों में बिकती है मूर्तियां

चुनार में बनी पीओपी की मूर्तियां सबसे अधिक पूर्वांचल समेत लखनऊ, कानपुर, रायबरेली, प्रयागराज समेत अन्य जिलों में बिकती हैं। बता दें कि यहां पर छोटे बड़े मिलाकर कुल साढ़े तीन सौ से अधिक कारखाने हैं, और घरों में कुटीर उद्योग के रूप में होने वाला यह व्यवसाय भी चुनार नगरी की पहचान के साथ धीरे-धीरे जुड़ चुका है।

क्या बोले स्थानीय उत्पादक

हर बार इस समय तक आधे से अधिक माल खत्म हो जाता था, लेकिन इस बार कोरोना संकट के कारण व्यापारियों के आने की गति पिछली बार की तरह नहीं है। उत्पादन पहले से ही कम हुआ है। अब मंडी में व्यापारियों के आने के बाद ठीक ठाक व्यापार की आस जगी है।

-अवधेश वर्मा, मूर्ति निर्माता व कारोबारी

करीब आठ से नौ महीने तक इसी काम में लगकर मूर्तियां तैयार की जाती हैं। ढलाई से लेकर रंगाई और मूर्तियों को रूप देने का काम अलग-अलग लोगों के जिम्मे है। कोरोना से पहले ही ढलाई हो चुकी थी। बाजार में व्यापारियों के आने से माल बिक रहा है।

-प्रदीप गुप्ता, मूर्ति उत्पादक

प्लास्टर आफ पेरिस के साथ क्राकरी संबंधी और भी बहुत सी रेंज बाहर का व्यापारी लेकर जाता है। इस बार कोरोना संकट के कारण व्यापार की गति पिछली बार से धीमी है। एक पखवारे से बाजार में बाहर के व्यापारी आ रहे हैं लेकिन माल खरीदने थोड़ा झिझक रहे हैं।

-मुन्ना कुरैशी उर्फ बकुल्लन, स्थानीय कारोबारी

बिहार, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से आने वाले फुटकर कारोबारियों की आमद बेहद कम है। ट्रेनों का संचालन न होने से एक दो नग ले जाने वाले हजारों की संख्या में आने वाले व्यापारी इस बार नहीं आ पा रहे हैं। हांलाकि कारोबार धीरे धीरे गति पकड़ रहा है।

-समर्थ सिंह पटेल, मूर्ति व क्राकरी कारोबारी


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