Move to Jagran APP

लाइट एंड साउंड शो बताएगा चुनार किला का इतिहास

वाराणसी : चुनार किले की दीवारों में महफूज सदियों का इतिहास अनूठे अहसास के साथ पर्यटकों के सा

By JagranEdited By: Published: Thu, 17 Aug 2017 02:52 AM (IST)Updated: Thu, 17 Aug 2017 02:52 AM (IST)
लाइट एंड साउंड शो बताएगा चुनार किला का इतिहास
लाइट एंड साउंड शो बताएगा चुनार किला का इतिहास

वाराणसी : चुनार किले की दीवारों में महफूज सदियों का इतिहास अनूठे अहसास के साथ पर्यटकों के सामने होगा। सतरंगी रोशनी में इसे निहारा जा सकेगा तो जोशीली आवाज में इसका गौरवशाली इतिहास विभोर करेगा। पर्यटन विभाग इसके लिए किले में लाइट एंड साउंड शो की व्यवस्था करने जा रहा है। पुरातत्व विभाग से इस निमित्त एनओसी मांगने के साथ ही डीपीआर भी बनाया जा रहा है। पर्यटन विभाग की इस कवायद को बनारस आने वाले पर्यटकों को आसपास के क्षेत्रों तक ले जाने की बड़ी कवायद का हिस्सा माना जा रहा है।

loksabha election banner

बनारस भ्रमण के लिए आने वाले पर्यटकों की सूची में अब तक गंगा के घाट, श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर, सारनाथ आदि स्थल ही होते थे। आसपास के इलाकों का समुचित प्रचार न होने से ज्ञान पिपासुओं के अलावा अन्य पर्यटक वाराणसी से ही लौट जाते हैं। ऐसे में मीरजापुर, सोनभद्र, चंदौली समेत क्षेत्रों में पर्यटन विस्तार का खाका खींचा जा रहा है। मीरजापुर संसदीय क्षेत्र होने के कारण केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने भी इसके लिए पहल की है।

पुरातत्व विभाग करा रहा अनुरक्षण

प्रथम सदी ईसा पूर्व के इस ऐतिहासिक किले का पुरातत्व विभाग अनुरक्षण करा रहा है। मान्यता है कि इसे उज्जैन के महाराज विक्रमादित्य ने अपने भाई भर्तृहरी की स्मृति में बनवाया जिनकी समाधि भी इसमें है। इसके अलावा लोरिकायन के नायक के विवाह से जुड़ा सोनवा मंडप, बावन खंभा, बावड़ी, तोपखाना, बंदीगृह, वारेन हेस्टिंग्स का बंगला समेत तमाम दर्शनीय स्थल हैं। इसके अनुरक्षण के लिए 2013 में साढ़े पांच करोड़ रुपये जारी किए गए थे। इससे दीवारों का केमिकल ट्रीटमेंट व सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है।

------------

चुनौतियां भी कम नहीं

समृद्ध इतिहास से लोगों को परिचित कराने और पर्यटन का दायरा बढ़ाने को तैयार किए जा रहे प्रोजेक्ट की सराहना की जा रही है पर इसमें चुनौतियां भी कम नहीं हैं। दरअसल, लाइट-साउंड शो अंधेरा होने के बाद शुरू होगा, तब तक बनारस से 45 किलोमीटर दूर गया पर्यटक रास्ता पकड़ लेगा। इसके अलावा किले का 75 फीसद एरिया पीएसी के रिक्रूटमेंट ट्रेनिंग सेंटर (आरटीसी) के कब्जे में है। गोला-बारूद होने से इस क्षेत्र में झांकना तक प्रतिबंधित है। ऐसे में शाम के बाद सुरक्षात्मक कारण भी बाधक होंगे। हालांकि पर्यटन विभाग के संयुक्त निदेशक अविनाश चंद्र मिश्र के अनुसार इसका भी रास्ता निकाला जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.