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हवाई जहाज देखने की जिद में बच्चों ने छोड़ा घर, स्टेशन निदेशक ने की काउंसिलिंग

वाराणसी में दस बच्चे घर से भाग कर आ गए उनमें से दो बच्चे तो सिर्फ हवाई जहाज ही देखने आए थे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Aug 2018 10:00 AM (IST)Updated: Wed, 29 Aug 2018 10:00 AM (IST)
हवाई जहाज देखने की जिद में बच्चों ने छोड़ा घर, स्टेशन निदेशक ने की काउंसिलिंग
हवाई जहाज देखने की जिद में बच्चों ने छोड़ा घर, स्टेशन निदेशक ने की काउंसिलिंग

वाराणसी : एक बड़े से कमरे में 10 मासूम बच्चे जिनकी आयु 10 से 14 वर्ष के बीच है, सहमे से आपस में सटकर छत को देख रहे थे, दृश्य था दिन में लगभग एक बजे वाराणसी कैंट पर स्थित स्टेशन डाइरेक्टर आनंद मोहन के कार्यालय का। उनमें से गौरव अपने भाई के साथ कटिहार से फूलपुर केवल हवाई जहाज देखने के लिए बिना मां-बाप के बताए घर छोड़ दिया। कुछ बच्चे इलाहाबाद में चलने वाले एक मदरसे से भाग कर आए थे। कुछ पिता की मार खाकर घर से भाग आए थे। गौरव ने बताया कि उसे बस पास से हवाई जहाज देखना था। दोस्तों से पता चला कि फूलपुर में बहुत हवाई जहाज हैं। वे बस चल दिए। बनारस आने पर कुछ लोगों ने कहा कि यहीं फूलपुर है। वे उतर गए। इधर-उधर घुमते हुए कुछ लोगों ने उसे दिखा लिया और आपने साथ ले गये। इलाहाबाद से भागे बच्चों का कहना था कि वहां का माहौल ठीक नहीं है। उनसे कुछ कम काम हुआ तो तीन दिन से खाना नहीं दिया गया। इसलिए वे वहां से भाग आए। उन्हें पता चला कि बनारस बहुत बड़ा शहर है। इस कारण वह यहां उतर गए। फालतू घूमते हुए देखकर उसे अपने साथ ले आए।

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स्टेशन डाइरेक्टर ने बच्चों की लगभग 40 मिनट तक काउंसलिंग की और उसके बाद उनके बच्चों को उनके अभिभावकों को सौपने की लिए अपने अधीनस्थों को आदेश दिया। सामाजिक संस्था साथी के स्वयंसेवक प्लेटफार्म और आस-पास के क्षेत्र में घर से भागे हुए या भटके हुए बालक-बालिकाओं को स्टेशन डाइरेक्टर, जीआरपी, आरपीएफ की सहायता से उनके अभिभावकों को सौपती है।

संवादहीनता है मूल कारण - वर्तमान समय में लोगों के पास अपनों से बात करने का समय नहीं है। सभी आभाषी दुनिया में व्यस्त है। अब बहुत ही कम परिवार बचे हैं जो दिन में एक साथ कम सें कम दो घंटे समय व्यतीत करते हो। खाना खाते समय भी मोबाइल पर लगे रहते हैं। जब तक संवाद का स्तर बढ़ेगा नहीं तब तक इस समस्या का हल नहीं है। - डा. टीना सिंघल, राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय।


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