नाबालिग बालिकाओं को आज भी बनाया जा रहा बालिका वधू, पूर्वांचल में लगातार सामने आ रहे मामले
समाज के तानों से आज बालिकाओं की जिंदगी दांव पर लग रही है। आज भी यह सुनाई देता है कि बेटी बड़ी हो रही है जल्दी से शादी कर दो।
वाराणसी, जेएनएन। समाज के तानों से आज बालिकाओं की जिंदगी दांव पर लग रही है। आज भी यह सुनाई देता है कि बेटी बड़ी हो रही है जल्दी से शादी कर दो। बाल विवाह के ऐसे ही कई मामले सामने आए हैं जिनमें 12 वर्ष की बालिका की भी शादी हो रही थी। सूचना मिलते ही महिला कल्याण विभाग की टीम ने पहुंचकर बालिका की जिंदगी तो बचा ली लेकिन यह प्रथा अभी भी समाज में बनी हुई है।
वर्ष 2017 से लेकर 2019 तक 29 बाल विवाह की घटनाएं वाराणसी और आसपास के क्षेत्रों में हुई। वाराणसी में अप्रैल और मई में बाल विवाह की तीन घटनाएं सामने आईं। फिलहाल महिला कल्याण विभाग द्वारा इन बाल विवाहों को रोक लिया गया। बाल विवाह की ज्यादा घटना सेवापुरी व रोहनिया में मिली।
केस एक : सेवापुरी क्षेत्र निवासी रोशनी (काल्पनिक नाम) की शादी 12 वर्ष की उम्र में कराई जा रही थी। उससे पहले महिला एवं बाल अधिकार मंच और महिला समाख्या की टीम पहुंच गई।
केस दो : काशी विद्यापीठ क्षेत्र की भारती (काल्पनिक नाम) के माता-पिता ने समाज के ताने सुनकर उसकी शादी 13 वर्ष की उम्र में ही तय कर दी। शादी की तैयारी चल ही रही थी कि जिला बाल संरक्षण इकाई की टीम ने वहां पहुंचकर शादी रुकवाई।
बोले अधिकारी : बाल विवाह का मुख्य कारण अशिक्षा, गरीबी और रूढि़वादिता है। विभाग द्वारा लगातार जागरूकता कार्यक्रम चलाने के बावजूद भी बाल विवाह की घटनाएं रुक नहीं रही हैं। बाल विवाह की सूचना पर विभाग द्वारा मौके पर पहुंचकर विवाह को रोक दिया जाता है। -निरुपमा सिंह, बाल संरक्षण अधिकारी
जाली सर्टिफिकेट का खेल : बाल संरक्षण अधिकारी निरुपमा सिंह ने बताया कि कई लोग तो जाली सर्टिफिकेट तक बनवा लेते हैं। ऐसे में अगर जिस स्कूल में बच्ची को पढ़ते हुए बताया जाता है उस स्कूल के रजिस्टर आदि को तत्काल देखा जाता है। इसके लिए बीएसए से भी बात की जाती है ताकि उम्र के लिए सही रिकार्ड मिल सके। इसके अलावा बच्चों का मेडिकल भी कराया जाता है।
अभी सगाई, 18 के बाद शहनाई : कई मामले में माता-पिता कहते हैं कि तय शादी तोड़ नहीं सकते। ऐसे में विभाग यहां तक कहता है कि शादी 18 वर्ष पूरा होने पर ही करना।
शून्य घोषित हो सकती है शादी : अगर शादी हो जाती है तो उसे शून्य भी घोषित करने का प्रावधान है। इसके लिए बालिका के माता-पिता को प्रार्थना पत्र देना होता है। इसके साथ नाबालिग को भी यह कहना होगा कि उसे शादी मंजूर नहीं है। जबरदस्ती उसकी शादी कराई जा रही थी।
हेल्पलाइन पर करें सूचित : बाल विवाह रोकने के लिए हेल्पलाइन नंबर 1098 चाइल्ड लाइन और 181 आशा ज्योति केंद्र है। जनता जागरुक हो गई है। अगर अपने आसपास कोई भी ऐसी घटना होते दिखाई देती है वे तत्काल हेल्पलाइन पर सूचना दे रहे हैं।
वर्ष 2017-19 तक : बाल विवाह की 29 घटनाएं, बाल विवाह रोकने को 102 बैठक, जागरूकता के लिए 126 प्रचार प्रसार।