बातें सेहत की : मां का वजन कम होने पर बच्चे की सेहत पर पड़ता है बुरा असर
गर्भवती महिलाओं पर वायु प्रदूषण का ज्यादा प्रभाव पड़ता है, अगर उन्हें वायु प्रदूषण से लगातार एलर्जी बनी रही तो इसका प्रभाव गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी पड़ता है।
वाराणसी, जेएनएन। गर्भवती महिलाओं पर वायु प्रदूषण का ज्यादा प्रभाव पड़ता है, अगर उन्हें वायु प्रदूषण से लगातार एलर्जी बनी रहती है तो इसका प्रभाव बच्चों पर भी पड़ता है। यह प्रभाव बच्चे पर आजीवन रहता है, ऐसे में जिन महिलाओं को वायु प्रदूषण से दिक्कत हो वह घर के अंदर रहे या प्रदूषित क्षेत्र से दूर। बनारस में 38वें न्यूकान नेशनल कांफ्रेंस में शामिल होने आए इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज शिमला (हिमाचल) के बाल रोग विभागाध्यक्ष डा. अश्वनी सूद ने यह जानकारी दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में दी।
उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं को प्रदूषण के चलते नवजात को कम सुनाई पड़ता है। साथ में बच्चा कम वजन का जन्म लेता है जिससे वह विभिन्न बीमारियों का शिकार होता है। गर्भवती महिलाओं का वजन किसी भी दशा में 35 किलो से कम नहीं होनी चाहिए, अगर मां का वजन कम है तो उसका सीधा प्रभाव बच्चे पर पड़ना तय हैं। 18 से 40 वर्ष तक उम्र की महिलाएं स्वास्थ हैं तो बच्चा गर्भावस्था में पूरा समय कर लेता है। जन्में बच्चे को सांस लेने में दिक्कत होने के साथ इन्फेक्शन का खतरा ज्यादा रहता है। बच्चों में खून की कमी होने के साथ आंख की रोशनी जाने की भी आशंका बनी रहती है। नवजात चार सप्ताह तक अस्पताल में रह जाते हैं तो उन्हें घर में रखने में ज्यादा परेशानी होती है।
वंशानुगत बीमारी से बचने को कराएं उपचार : कई परिवारों में वंशानुगत बीमारी पाई जाती है, ऐसे में महिलाएं गर्भधारण के साथ चिकित्सक को जरूर दिखाएं। समय से उपचार कराने से बच्चा स्वस्थ और निरोग होगा।