नवरात्र में मां विंध्यवासिनी के श्रद्धालुओं को रोप-वे की सौगात देंगे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
पूर्वांचल का पहला रोप-वे मां विंध्यवासिनी के श्रद्धालुओं के लिए बनकर तैयार हो गया है। मुख्यमंत्री द्वारा नवरात्र में इसके लोकार्पण की तैयारी पूरी कर ली गई है।
मीरजापुर [सतीश रघुवंशी]। पूर्वांचल का पहला रोप-वे मां विंध्यवासिनी के श्रद्धालुओं के लिए बनकर तैयार हो गया है। अब जल्द ही मां विंध्यवासिनी का दर्शन करने के बाद श्रद्धालु रोप-वे से विंध्य क्षेत्र के पहाड़ों की अनुपम छटा का लुत्फ भी उठा सकेंगे। साथ ही मां विंध्यवासिनी, अष्टभुजा व कालीखोह की त्रिकोण यात्रा करना बुजुर्ग व बच्चों के लिए अब सुगम हो जाएगा। शासन-प्रशासन स्तर से नवरात्र में रोप-वे के शुरू होने की पूरी उम्मीद है। अधिकारियों के मुताबिक मुख्यमंत्री द्वारा नवरात्र में इसके लोकार्पण की तैयारी पूरी कर ली गई है। पर्यटन अधिकारी नवीन सिंह ने बताया कि रोप-वे को लेकर सेफ्टी व क्लीयरेंस की रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। जल्द ही प्रशासन से रोप-वे के लोकार्पण के लिए हरी झंडी मिल जाएगी। इसके बाद विंध्य धाम आने वाले सैलानियों की संख्या में भी बड़ी संख्या में इजाफा होने की उम्मीद है।
धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पूर्वांचल का पहला रोप-वे शक्तिपीठ विंध्यवासिनी में बनकर तैयार हो गया है। अब इंतजार है तो सिर्फ मुख्यमंत्री द्वारा लोकार्पण का। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक अगर सब कुछ ठीक रहा तो आागामी नवरात्र से इसके शुभारंभ किए जाने की उम्मीद है। विंध्य पर्वतमाला पर मां विंध्यवासिनी, अष्टभुजा और काली खोह में दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से लाखों लोग आते हैं। कालीखोह पहाड़ पर मां काली के दर्शन-पूजन करने के बाद 135 सीढ़ी चढ़ाई चढ़कर मां अष्टभुजी देवी जाना पड़ता है। विदेशी सैलानी भी यहां का मनोरम दृश्य देखने पहुंचते हैं। यहां पूर्वांचल के पहले रोप-वे की सुविधा देने की पहल सूबे की सरकार ने की है। पर्यटन विभाग की ओर से पीपीपी मॉडल पर रोप-वे का निर्माण कराए जाने से अष्टभुजा और काली खोह में दर्शन के लिए श्रद्धालओं को ऊंची पहाड़ी वाले रास्ते पर घंटों नहीं चलना पड़ेगा। 265 मीटर ऊंचे रोप-वे से अष्टभुजा और काली खोह मंदिर तक पहुंचने में सिर्फ दो मिनट लगेंगे।
1.08 हेक्टेयर भूमि पर 17 करोड़ की लागत से रोप-वे तैयार
विंध्यवधाम के पास खडिय़ा तालाब से अष्टभुजा और काली खोह के लिए वन विभाग की 1.08 हेक्टेयर भूमि पर करीब 17 करोड़ की लागत से रोप-वे तैयार कराया गया है। टेङ्क्षस्टग पूरी कर शासन को रिपोर्ट भेज दी गई है। वहां से हरी झंडी मिलते ही लोग रोप-वे की सवारी कर सकेंगे। यात्रियों को बैठाने, उतारने सहित टिकट काटने की व्यवस्था व रोप-वे से आने-जाने का किराया शासन से हुए अनुबंध के तहत निर्धारित किया जाएगा। अक्टूबर महीने में नवरात्रि के दौरान इसके शुभारंभ की संभावना है।
मां विंध्यवासिनी के श्रद्धालुओं के लिए रोप-वे बनकर तैयार हो गया
मां विंध्यवासिनी के श्रद्धालुओं के लिए रोप-वे बनकर तैयार हो गया है। शासन को सेफ्टी व क्लीयरेंस की रिपोर्ट भी भेज दी गई है। शासन से हरी झंडी मिलते ही श्रद्धालु रोप-वे की सवारी कर सकेंगे।
- नवीन कुमार, पर्यटन अधिकारी, मीरजापुर
2014 में हुआ था करार
ग्लोरियस इंपेक्स प्राइवेट लिमिटेड नई दिल्ली से रोप-वे निर्माण का करार वर्ष 2014 में हुआ था। अब करीब छह वर्ष बाद रोप-वे पूरी तरह बनकर तैयार हो गया है।
रोप-वे तैयार होने से बढ़ी उत्सुकता
लोगों के बीच चर्चा है कि कोरोना के चलते चैत्र नवरात्र तो ऐसे ही बीत गया, कहीं शारदीय नवरात्रि भी कोरोना के भेंट न चढ़ जाए। हालांकि श्रद्धालुओं ने सरकार के फैसले पर सब कुछ छोड़ रखा है। उनका कहना है कि शारदीय नवरात्रि के दौरान कोरोना से बचाव के लिए शारीरिक दूरी का पालन हो पाना संभव नहीं है। यदि श्रद्धालु खुद सतर्कता व सावधानी बरतें तो शायद इस शारदीय नवरात्र में मां विंध्यवासिनी का दीदार हो सके। वहीं रोप-वे तैयार होने की जानकारी पर विंध्यवासियों में काफी उत्सुकता है। रोप-वे बन जाने से अब बच्चे और बुजुर्ग आसनी से मां काली और मां अष्टभुजा के दर्शन कर पाएंगे। साथ ही दर्शनार्थियों की संख्या में भी वृद्धि होगी।