Ballia Anniversary : बलिदान दिवस समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बोले- बलिया से तीन घंटे में पहुंचेंगे लखनऊ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को बलिया के ऐतिहासिक बलिदान दिवस के अवसर पर क्रांतिकारियों के स्वजन से मुलाकात की और उन्हें सम्मानित कर हौसला बढ़ाया। आजादी के बाद यह पहला अवसर था जब प्रदेश के कोई मुख्यमंत्री बलिया बलिदान दिवस समारोह में शामिल हुए।
बलिया, संग्राम सिंह। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को बलिया के ऐतिहासिक 'बलिदान दिवस' के अवसर पर क्रांतिकारियों के स्वजन से मुलाकात की और उन्हें सम्मानित कर हौसला बढ़ाया। आजादी के बाद यह पहला अवसर था, जब प्रदेश के कोई मुख्यमंत्री बलिया बलिदान दिवस समारोह में शामिल हुए। देश के स्वतंत्र होने से पांच साल पहले ही बलिया 19 अगस्त 1942 को 14 दिनों के लिए अंग्रेज हुकूमत के नियंत्रण से मुक्त हो गया था। मुख्यमंत्री ने प्रदेश के समग्र विकास का वादा करते हुए कहा कि आज बिना भेदभाव के सबको योजनाओं का फायदा मिल रहा है। आने वाले समय में भारत विश्व शक्ति बनेगा। बलिया बहुत जल्द पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जुड़ने वाला है। ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे बनने के बाद तीन घंटे में बलिया से लखनऊ पहुंचा जा सकता है। मेडिकल कालेज भी बनेगा और जिले में ही स्वास्थ्य सुविधाएं मिलेंगी।
पुलिस लाइन के मैदान में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं पिछले पांच साल से मेडिकल कालेज के लिए जमीन मांग रहा हूं, लेकिन नहीं मिल रही है। मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र को अपने साथ लाया हूं। यहां मेडिकल कालेज तीन साल पहले बन जाना चाहिए था, लेकिन अब यह सौगात देकर जाऊंगा। जिला कारागार को शहर के बाहर स्थानांतरित किया जाएगा। वर्तमान जिला जेल में सेनानियों का स्मारक बनेगा। शहर में इलेक्ट्रिक बसें चलाई जाएंगी। नगर का दायरा बढ़ाएंगे और जनता को जलजमाव से मुक्ति देंगे। इससे पहले मुख्यमंत्री जिला कारागार पहुंचे और बलिदानी राजकुमार बाघ की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि दी। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को भी याद किया। कहा कि लोकतंत्र को बचाने की जो लड़ाई लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने शुरू की थी, उसमें चंद्रशेखर का योगदान अविस्मरणीय है।
बलिदान से मिली बलिया को नई पहचान
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व व बलिया बलिदान दिवस के सुखद संयोग पर बलिया आगमन को खुद का सौभाग्य बताते हुए योगी ने कहा कि यह ऋषियों, मुनियों व क्रांतिकारियों की भूमि है। इसी धरती के लाल मंगल पांडेय ने आजादी की लड़ाई की जो चिंगारी बैरकपुर छावनी (मेरठ) में जलाई थी, वह पूरे देश के लिए प्रेरणा बनी। 1942 में महात्मा गांधी ने जब अंग्रेजों भारत छोड़ो का नारा दिया, तब महान क्रांतिकारी चित्तू पांडेय की अगुआई में बलिया ने खुद को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि बलिया के बस स्टेशन को एयरपोर्ट जैसा बनाया जाएगा।
बलिया बलिदान दिवस
16 अगस्त 1942 को छह दिनों से बंद बलिया शहर के बाजार को जनता ने खोल दिया था। अंग्रेजों ने उसी दिन नौ क्रांतिकारियों को गोली मार दी। 18 अगस्त को बैरिया थाने पर हमले के दौरान 20 लोग वीरगति को प्राप्त हुए, 150 को गोली लगी थी। अलग-अलग दिनों में 84 क्रांतिकारियों ने बलिदान दिया। 19 अगस्त को 50,000 लोग जिला कारागार में बंद क्रांतिकारियों को बाहर निकालने के लिए उमड़ पड़े थे। शाम करीब छह बजे टाउन हाल में सभा कर बलिया को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया गया। चित्तू पांडे जिलाधिकारी और महानंद मिश्र पुलिस अधीक्षक बनाए गए थे। 1943 में सिकंदरपुर के सिसोटार निवासी क्रांतिकारी राजकुमार बाघ ने डाकखाना व बीज गोदाम में आग लगा दी। उन्हें बाद में जिला कारागार में गोली मार दी गई थी।
ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे से विकास को रफ्तार
133.79 किमी लंबा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे चार लेन का होगा जो बलिया को लखनऊ, दिल्ली व पटना से जोड़ेगा। इसे दो साल में पूरा करने का लक्ष्य है। इसका निर्माण एनएच-29 (गोरखपुर से वाराणसी हाईवे) पर गाजीपुर बाईपास के पास जंगीपुर से शुरू होकर बलिया होते हुए बिहार के छपरा में मांझीघाट तक होगा। इस रूट पर एनएच-29 और एनएच-19 (गाजीपुर-बलिया-छपरा हाईवे) सीधे जुड़ रहे हैं। इसे 20 महीने में बना लिया जाएगा। 17 किमी लंबे चौथे फेज में मुहम्मदाबाद से बिहार के बक्सर को जोड़ा जाएगा। इसके अलावा मांझी घाट पर पुल भी बनेगा।