छठ मइया के गीतो से गूंजी कार्तिक की भीगी-भीगी भोर, डाला छठ पर्व का समापन
सूर्य की लालिमा आसमान में छाने और गंगधार पर बिखर जाने को आतुर तो इधर मां गंगा की गोद में लाखों की संख्या में छठ मइया के भक्त पंक्तिबद्ध होकर अघ्र्य देने उमड़े।
वाराणसी (जेएनएन) । कार्तिक मास की धुंधली और भीगी-भीगी सी भोर छठ मइया की महिमा बखानने वाले गीतो से गूंज उठी। बुधवार भोर उधर सूर्य की लालिमा आसमान में छाने और गंगधार पर बिखर जाने को आतुर तो इधर मां गंगा की गोद में लाखों की संख्या में छठ मइया के भक्त पंक्तिबद्ध होकर उगते सूर्य को अघ्र्य देने के लिए विनयवत भाव से उतावले नजर आए। मौका चार दिवसीय छठ व्रत के समापन सत्र का।
रविवार को मुंह अंधेरे से ही गंगा घाटों, सरोवरों व पोखरों पर एकत्रित हुए लाखों लोगों ने भगवान सूर्य की पहली किरण जलराशि पर पड़ते ही 'कहीं देर न हो जाए' की तर्ज पर जलांजलि व दुग्धांजलि प्रदान की। तदोपरांत व्रतियों ने उक्त स्थानों पर ही छठ मइया का प्रसाद वितरित कर व स्वयं ग्रहण कर पारण किया।
वास्तव में बुधवार सुबह सवेरे नजारा ही आम दिनों से अलग हट कर था। छठ मइया के भक्त बड़ी संख्या में डाला उठाये गंगा घाटों की कूच कर गए। कार्तिक मास की भोर छठ मइया के महिमा बखानते पावन गीतों से गूंज उठी । भगवान भास्कर की पहली किरण से पहले गंगा तट, सरोवर व पोखरों के घाट पूरी तरह भीड़ से अट गए थे। भगवान सूर्य के उदित होते ही लोगों ने गूंजते मंत्रों के बीच जलांजलि व दुग्धाजंलि दी।
व्रती महिलाओं ने कमर तक पानी में पैठ कर भगवान सूर्य की प्रदक्षिणा की। इस दौरान अस्सी घाट, तुलसी घाट, केदार घाट, दशाश्मेध घाट, डा.राजेन्द्र प्रसाद घाट ,मीर घाट ,पाण्डेय घाट , संकठा घाट, सिंधिया घाट, भोसला घाट , पंचगंगा घाट ,भैंसासुर घाट, राजघाट आदि पर अपार भीड़ लगी थी। घाटों पर बच्चे आतिशबाजी से धमा चौकड़ी मचाई। गंगा पार रामनगर के बलुआघाट, गोलाघाट, धोबीघाट, सिपहिया घाट तक के एक किलोमीटर के क्षेत्र में हजारों महिलाओं ने उगते सूर्य को अघ्र्य दिया।
वहीं दूसरी ओर काशीराज परिवार की महिलाएं बैण्ड व शहनाई वादकों के साथ डाला लिए बलुआघाट पूजन के लिए पहुंचीं। डीरेका स्थित सूर्यसरोवर, कर्दमेश्वर महादेव तालाब, सारनाथ में सारंग महादेव शिव कुण्ड समेत शहर से गांव तक के कुंड सरोवरों के तट पर लोगों ने अर्घ्य दिया तो कुछ लोगों ने घरों के सामने गड्ढा खोदकर विधान पूरे किए।