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स्वतंत्रता के सारथी : मन में ठाना और एसिड पीड़ितों के स्वावलंबन का बुन डाला ताना-बाना

मन मे अगर सेवा का जज्बा है तो हर मंजिल करीब नजर आती है।एक ऐसा ही भाव अजय पटेल ने मन मे ठाना और आखिर एसिड पीड़ित युवतियों को स्वावलंबन बनाने का बुन डाला ताना बाना।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 11 Aug 2020 05:49 PM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2020 06:40 PM (IST)
स्वतंत्रता के सारथी : मन में ठाना और एसिड पीड़ितों के स्वावलंबन का बुन डाला ताना-बाना
स्वतंत्रता के सारथी : मन में ठाना और एसिड पीड़ितों के स्वावलंबन का बुन डाला ताना-बाना

वाराणसी [शैलेंद्र सिंह]। मन मे अगर सेवा का जज्बा है तो हर मंजिल करीब नजर आती है।एक ऐसा ही भाव अजय पटेल ने मन मे ठाना और आखिर एसिड पीड़ित युवतियों को स्वावलंबन बनाने का बुन डाला ताना बाना। समाज के दरिंदे चंद छींटे उड़ा के चेहरे की पहचान भले ही छीन ले गए, पर समाज की धुरी आधी आबादी कही जाने वाली नारी शक्ति अगर मन में विश्वास जगा ले तो नामुकिन को मुमकिन कर सकती है। बस उनके हौसले को उड़ान चाहिए। एसिड से चेहरे की पहचान खो चुकी पीड़ितों का आत्मबल बढ़ा उनके चेहरे पर स्वावलंबन की मुस्कान लाने लिए मुहिम चलाने के साथ ही किशोरियों व युवतियों को मनचलों से लड़ने हेतु जूडो-कराटे सिखा उनका आत्मबल भी बढ़ा रहे है।शिक्षा के अधिकार पर भी काम कर रहे है।

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मिर्जामुराद के मनकइयां (भोरकलां) गांव निवासी रेड ब्रिगेड संस्था के प्रमुख अजय पटेल वर्ष 2000 से सामाजिक सेवा में जुटे है। इन्होंने वर्ष 2011 में लखनऊ में 14 किशोरियों का ग्रुप बनाकर छेड़खानी व दुराचार पीड़ितों की लड़ाई लड़नी शुरू की।इसी बीच वर्ष 2015 में गोंडा की एसिड पीड़िता ने मदद के लिए सम्पर्क की।उपचार में पीड़िता अपनी तीन बीघा जमीन तक बेंच दी थी।एसिड पीड़िता के दुख-दर्द को देख इनके मन में मदद का भाव जागा।अजय ने सरकारी खर्च से पीड़िता के उपचार की मांग को लेकर 45 दिन तक लखनऊ में आंदोलन चलाया।तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एसिड पीड़ितों को बुला कर तीन-तीन लाख रुपए का चेक दिए।2017 में रायबरेली की एसिड पीड़िता की मदद हेतु हाईकोर्ट तक गए। इसके बाद 2017 से 2019 तक उत्तर-प्रदेश का भ्रमण कर एसिड पीड़ित युवतियों से सम्पर्क साधा। इनकी दशा को देख मन मे इनके स्वावलंबन का भाव जागा। युवतियों को स्वावलंबन के साथ ही मालिकाना हक दिलाने के लिए एक्शन ऐड नामक संस्था ने सहयोग किया।देश में संदेश देने के लिए प्राचीन शहर वाराणसी के दुर्गाकुंड में एसिड पीड़ित बादामा देवी, संगीता, सन्नो व सोमवन्ती नामक चार युवतियों के सहयोग  से 14 फरवरी 20 से ऑरेंज कैफे का संचालन शुरू कराया है। लखनऊ समेत अब आगरा, वाराणसी, गाजीपुर, बलिया व मऊ छह जिलों में रेड ब्रिगेड संस्था काम कर रही है। संस्था में कुल 154 युवतियां काम कर रही है।हर जिलों में अलग-अलग युवतियों को नेत्तृव दिया गया है। वाराणसी जिले में सुमन के नेतृत्व में 26 युवतियां है। इसके अलावा 2010 से शिक्षा के अधिकार पर काम कर निजी स्कूलों में गरीब बच्चों के निश्‍शुल्क दाखिला का भी मुहिम चलाया।


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