chandrayaan-2 माता-पिता के साथ जौनपुर की बेटी इसरो के सजीव प्रसारण में हुई शामिल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इसरो के प्रक्षेपण केंद्र बेंगलुरु में जौनपुर की बेटी आन्या सिंह भी इस ऐतिहासिक पल की साक्षी बनी।
जौनपुर, जेएनएन। चंद्रयान-2 के सात सितंबर को चांद की सतह पर उतरने की दिशा में इसरो में होने वाले सजीव प्रसारण कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इसरो के प्रक्षेपण केंद्र बेंगलुरु में जौनपुर की बेटी आन्या सिंह भी इस ऐतिहासिक पल की साक्षी बनी। पीएम संग बेटी को देख दादा-दादी समेत परिवार का उत्साह सातवें आसमान पर रहा। ऐतिहासिक घटना की साक्षी बनने पर तारापुर मोहल्ले व गृह गांव में जश्न का माहौल रहा। माई गवर्नमेंट और इसरो द्वारा आयोजित स्पेस क्विज में आन्या मिजोरम राज्य से चयनित हुई हैं। इस प्रतियोगिता मे हर राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश से दो-दो छात्रों का चयन किया गया है। आन्या सिंह इससे पहले भी इसरो के युविका कार्यक्रम में चयनित होकर जिले का गौरव बढ़ाया है। केंद्रीय विद्यालय मिजोरम की कक्षा 10 की छात्रा आन्या सिंह मिजोरम विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर डा. अमित कुमार सिंह की पुत्री एवं जिले के वरिष्ठ अधिवक्ता सत्य नारायण सिंह की पौत्री है।
आन्या की मां बेटी के इस उपलब्धि पर बेहद खुश हैं। कहती हैं कि बेटियों को बोझ समझने वालों के लिए यह एक मिसाल है। वह केंद्रीय विद्यालय में अध्यापिका हैं। एक शिक्षिका के तौर पर उन्होंने बेटी के परवरिश में कोई कसर नहीं छोड़ी। मिली का कहना है कि आन्या बचपन से ही मेधावी रही। वह अपने से बड़ी कक्षा के सवालों को भी उतनी ही तेजी से हल करती थी। आमतौर पर कम उम्र में बच्चों का शौक खेल में रहता है, लेकिन आन्या ने अपना शौक पढ़ाई को बनाकर कम उम्र में ही अपनी अलग पहचान बना ली।
अपनी पौत्री को ऊंचाई के इस शिखर पर देख सत्य नारायण ङ्क्षसह खुशी से फूले नहीं समा रहे। वह कहते हैं कि उन्हें बेटी पर नाज है, जिसने महज परिवार का नहीं बल्कि जिले का नाम रोशन किया है। पौत्री के इस सफर पर उर्मिला ङ्क्षसह बेहद खुश हैं। उसकी छोटी उम्र में बड़ी-बड़ी बातें सुन उन्हें विश्वास था कि एक न एक दिन वह कुछ अलग जरूर करेगी। आन्या मूलत: नगर के तारापुर कालोनी की निवासी है। उसकी प्राथमिक शिक्षा यहीं पर मां दुर्गा जी विद्यालय से शुरू हुई है। गौरतलब है कि भारत का चंद्रयान-2 देर रात चांद के दक्षिणी हिस्से की सतह पर लैंड करेगा। हिंदुस्तान आज वह करेगा, जो अब तक कोई देश नहीं कर सका है। चांद के इस हिस्से तक पहुंचने वाला भारत दुनिया का पहला देश होगा।