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वासंतिक नवरात्र 2019 : शक्ति आराधना का व्रत पर्व कल से, जानिए शुभ मुहूर्त व पूजन विधि

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा इस बार छह अप्रैल को पड़ रही है इस बार चैत्र शुक्ल पक्ष में दशमी तिथि की हानि से यह पखवारा 14 दिनों का ही होगा।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Fri, 05 Apr 2019 01:11 PM (IST)Updated: Fri, 05 Apr 2019 03:58 PM (IST)
वासंतिक नवरात्र 2019 : शक्ति आराधना का व्रत पर्व कल से, जानिए शुभ मुहूर्त व पूजन विधि
वासंतिक नवरात्र 2019 : शक्ति आराधना का व्रत पर्व कल से, जानिए शुभ मुहूर्त व पूजन विधि

वाराणसी [प्रमोद यादव]। वासंतिक नवरात्र का आरंभ भारतीय नव वर्ष के प्रथम दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है और रामनवमी को समापन किया जाता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा इस बार छह अप्रैल को पड़ रही है। इस बार चैत्र शुक्ल पक्ष में दशमी तिथि की हानि से यह पखवारा 14 दिनों का ही होगा। इसके चलते तिथियां आगे-पीछे हो रही हैं जिससे महाअष्टमी व नवमी का व्रत और पूजन 13 अप्रैल को किया जाएगा। इसी दिन नौ देवियों में अष्टम महागौरी व नवम सिद्धिदात्री का दर्शन भी किया जाएगा।

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घट स्थापन 11.35 से 12.24 तक : श्रीकाशी विद्वत परिषद के संगठन मंत्री ज्योतिषाचार्य पं. ऋ षि द्विवेदी के अनुसार प्रतिपदा की सुबह वैधृति योग होने से घट स्थापन के लिए श्रेयस्कर काल अभिजीत मुहूर्त होगा जो सुबह 11.35 से 12.24 बजे तक मिल रहा है। शास्त्र अनुसार वैधृति पुत्र नाशा अर्थात वैधृति योग में घट स्थापन से पुत्र नाश होता है।

महानिशा पूजन 12-13 की रात : नवरात्र में महानिशा पूजा व होम का विशेष महत्व है। यह अनुष्ठान 12-13 अप्रैल की रात्रि में किया जाएगा। नवरात्र का होम आदि 13 अप्रैल को प्रात : 8.16 के बाद किया जाएगा। नवरात्र व्रत का पारन 14 अप्रैल को किया जाएगा।

पूजन विधान : चैत्र शुक्‍ल प्रतिपदा तिथि विशेष पर प्राय: नित्‍य कर्मादि-स्‍नान कर हाथ में गंध-अक्षत-पुष्‍प जल लेकर संकल्पित हो कर ब्रम्‍हा जी का आहवान करना चाहिए। आगमन, पाद्य, अर्घ्‍य, आचमन, स्‍नान, वस्‍त्र, यज्ञोपवीत, गंध, अक्षत पुष्‍प, धूप-दीपख्‍ नैवेद्य- तांबुल, नमस्‍कार-पुष्‍पांजलि व प्रार्थना आदि उपचारो से पूजन करना चाहिए। नवीन पंचांग से नववर्ष के राजा, मंत्री, सेनाध्‍यक्ष, धनाधीप, धान्‍याधीप, दुर्गाधीप, संवत्‍वर निवास और फलादीप आदि का फल श्रवण करना चाहिए। निवास स्‍थान को ध्‍वजा-पताका, तोरण-बंदनवार आदि से सुशोभित करना चाहिए।

वैधृति योग समाप्‍त होने पर अभिजीत मुहूर्त में देवी पूजन स्‍थन को सुसज्जित कर घट स्‍थापना करना चाहिए। नवरात्रि व्रत संकल्‍प कर गणपति व मातृका पूजना करना चाहिए। लकडी के पटरे पर पानी में गेरु घोलकर नौ देवियों अथवा सिंह वाहिनी दुर्गा का चित्र या प्रतिमा पटरे पर या इसके पास रखनी चाहिए। पीली मिटटी की एक डली व एक कलावा लपेट कर उसे गणेश स्‍वरुप में कलश पर विराजमान कराने के साथ ही घट के पास गेहूं या जौ का पात्र रखकर वरुण पूजन और भगवती का आहवान और नवग्रह पूजन, षोडश मातृका स्‍थापन आरैर पराम्‍बा का षोडशो या पंचोपचार पूजन करना चाहिए।


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